गोपेश्वर के धिंघराण सड़क रौली ग्वाड़ में जंगल का बड़ा हिस्सा भूधंसाव की चपेट में आ गया है। कई पेड़ धरासायी हो गए हैं। विभाग आपदा में जंगलों को हुए नुकसान के आंकड़ों को जुटाया जा रहा है।
चमोली जनपद में भूस्खलन और भूधंसाव से बड़ी मात्रा में जंगलों को भी नुकसान पहुंचा है। नंदानगर क्षेत्र में सबसे अधिक जंगलों को क्षति पहुंची है। जिस बिनसर पहाड़ी से धुर्मा और कुंतरी गांव में बादल फटने के बाद मलबा गांवों तो पहुंचा, उसमें कई हेक्टेयर वन संपदा भी नष्ट हुई है। नंदानगर के मोक्ष गदेरे के बहाव में भी काफी नुकसान हुआ है।
गदेरे का जलस्तर कम होने पर यहां कई पेड़ों के अवशेष पड़े दिख रहे हैं। गोपेश्वर के धिंघराण सड़क रौली ग्वाड़ में जंगल का बड़ा हिस्सा भूधंसाव की चपेट में आ गया है। जिससे कई पेड़ धरासायी हो गए हैं। चमोली में 2021 में घटित रैणी आपदा में भी ऋषि गंगा के बहाव में कई हेक्टेयर हिस्से में पेड़ टूटकर बह गए थे।
अभी तक भी यहां वन क्षेत्र की सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किए गए हैं। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ सर्वेश दुबे ने बताया कि आपदा में जंगलों को हुए नुकसान के आंकड़ों को जुटाया जा रहा है।