जिस तरह पड़ोसी राज्य यूपी के गांवों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है, ठीक उसी तरह रुड़की और आसपास के गांवों में भी संक्रमण कहर ढा रहा है।
तेजी से बढ़ रहे संक्रमण का एक उदाहरण रुड़की तहसील के नारसन ब्लॉक के लिब्बरहेड़ी गांव में देखने को मिला। यहां 15 दिन से हर रोज औसतन दो से तीन मौतें हो रही हैं। ग्रामीणों के अनुसार मई में अब तक 35 मौतें हो चुकी हैं।
गांव में हर तीसरे घर में खांसी और बुखार से परिवार के लोग पीड़ित हैं। ग्रामीणों की मानें तो इस वक्त गांव में करीब पांच सौ लोग बीमार हैं। चिंताजनक ये है कि न तो यहां के लोग टेस्ट करा रहे हैं और न ही प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची है।
इस समय उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। कोरोना ने अब शहर के बाद गांव की तरफ रुख कर लिया है। नासमझी और लापरवाही के चलते कोरोना शहर के मुकाबले गांव में तेजी से फैल रहा है। नारसन ब्लॉक के लिब्बरहेड़ी गांव में इस समय कोरोना ने तांडव मचाया हुुआ है।
हालांकि गांव के लोग इसे अभी भी संदिग्ध बुखार मान रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार लिब्बरहेड़ी में आज से करीब एक महीने पहले सब कुछ ठीक चल रहा था। इसी बीच 24 अप्रैल को गांव में एक व्यक्ति की संदिग्ध मौत हुई। सामान्य मौत मानकर लोगों ने इस घटना पर ध्यान नहीं दिया। इसके दो दिन बाद फिर एक मौत हुई। ऐसे में 30 अप्रैल तक गांव में चार मौतें हुई। ये मौतें लोगों में चर्चा बनने लगी।
ग्रामीण सुखेंद्र, तसलीम, इकबाल, प्रीतम आदि का कहना है कि लोग कुछ समझ पाते इसके बाद आए दिन एक-दो मौतें होने लगी। बताया जाता है कि 11 मई को गांव में एक साथ छह मौतें हुईं। अब गांव में आलम ये है कि श्मशान घाट में एक साथ दो से तीन चिता जलाई जा रही हैं। वहीं जो अचानक मौतें हो रही हैं, उन्हें जलाने के लिए दूसरी चिता की आग ठंडी होने का इंतजार करना पड़ रहा है। वर्तमान में भी गांव में करीब 500 लोग ऐसे हैं, जिन्हें बुखार और खांसी की शिकायत है।
बुझ गया घर का इकलौता चिराग
लिब्बरहेड़ी गांव निवासी 26 वर्षीय राहुल उर्फ छोटू की मौत छह मई को हुई थी। राहुल को भी बुखार होने पर एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दो दिन में ही उसकी मौत हो गई। राहुल के चाचा ने बताया कि उसके पिता की पहले ही मौत हो चुकी है। पिता की मौत के बाद तीन बहनों और मां की जिम्मेदारी उसके ऊपर ही आ गई थी।
राहुल की मौत के बाद अब घर में कमाने वाला कोई नहीं रहा। इसके अलावा गांव के सोनू के पिता चमेली (70) की मौत दो मई को संदिग्ध बुखार होने पर हुई थी। प्रीतम की मां कमला (60) की मौत तीन अप्रैल को ऑक्सीजन लेवल कम होने पर हुई। ऋषभ के पिता राजेंद्र (50) की मौत भी बुखार के बाद ऑक्सीजन लेवल कम होने पर हुई।
अधिकतर की गांव में हुई मौत
अधिकतर लोगों की मौत गांव में ही हुई। हालांकि कुछ लोगों ने अपने मरीजों को रुड़की, मंगलौर, देहरादून, मेरठ आदि जगह भी भर्ती किया। इनमें भी कई लोगाें की अस्पताल में मौत हुई।
एक नजर में गांव
ग्राम पंचायत – लिब्बरहेड़ी
गांव में मतदाता – 11000
गांव की आबादी – 20000
कोविड के कारण ही मौतें हुई हैं, यह नहीं कहा जा सकता। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम को गांव भेजा गया था, इस दौरान 80 सैंपल लिए गए हैं। जिनमें से एक व्यक्ति की ही रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। रविवार से स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम गांव में जांच करेगी।
– पूरण सिंह राणा, अपर उपजिलाधिकारी रुड़की
गांव में हर दिन संदिग्ध बुखार और कोरोना के चलते दो से तीन लोगों की मौत हो रही है। कार्यकाल समाप्त होने के चलते गांव में प्रशासक नियुक्त कर दिए गए हैं। वह अपने स्तर पर गांव में सैनिटाइज करवा चुके हैं। वहीं गांव की साफ-सफाई के लिए लगातार एडीओ पंचायत से संपर्क किया जा रहा है।
– उमेश कुमार, निवर्तमान प्रधान, लिब्बरहेड़ी
ग्राम पंचायत विकास अधिकारी संदीप कुमार भी संक्रमित हो गए थे। उन्हें भी होम आइसोलेट कर दिया गया है। अब ठीक होकर वापस आ गए हैं। गांव में हो रही मौतों की जानकारी मिली है। दो दिन में पूरा गांव सैनिटाइज करवाया जाएगा।
– ब्रह्मपाल सिंह तेजवान, एडीओ पंचायत, नारसन ब्लॉक
बढ़ते संक्रमण के बीच स्वास्थ्य उपकरण और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे गए हैं। जल्द ही ये उपकरण और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर क्षेत्र में स्थापित कर दिए जाएंगे। वहीं लिब्बरहेड़ी गांव बिगड़ते हालातों को लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है।
लिब्बरहेड़ी पहुंची प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम
लिब्बरहेड़ी गांव में मात्र 15 दिन में 35 लोगाें की संदिग्ध मौत होने की खबर प्रकाशित होते ही स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन में हड़कंप मच गया। दोनों ही विभाग के अधिकारियों ने गांव में पहुंचकर ग्रामीणों से जानकारी ली। बीमार लोगों के सैंपल भी लिए।
प्रशासन ने निवर्तमान ग्राम प्रधान और ग्रामीणों को ज्यादा से ज्यादा लोगों के सैंपल कराने के लिए कहा। गांव पहुंचे एएसडीएम ने निवर्तमान ग्राम प्रधान और अन्य लोगों से जानकारी ली। साथ ही जो लोग टेस्टिंग नहीं करा रहे हैं, उन्हें टेस्टिंग के लिए प्रेरित करने की अपील की।
नारसन ब्लॉक के लिब्बरहेड़ी गांव में मरने वालों में अधिकतर 25 से 50 साल के आयुवर्ग के लोग शामिल थे। गांव में जाकर पड़ताल में सामने आया था कि इनमें से अधिकतर मौतों के पीछे की वजह संदिग्ध बुखार था।
गांव में लगातार हो रही मौतों को लेकर ग्रामीणों में दहशत और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा था। एएसडीएम पूरण सिंह राणा प्रशासनिक टीम के साथ मौके पर पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्होंने निवर्तमान ग्राम प्रधान उमेश कुमार और अन्य ग्रामीणों से गांव के लोगों से जानकारी ली। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की ने गांव के 85 लोगों की कोरोना की एंटीजन जांच की। जांच में कोई संक्रमित नहीं पाया गया।
एएसडीएम पूरण सिंह राणा ने बताया कि गांव में लोगों को सैंपल देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण सैंपलिंग कराने के लिए तैयार नहीं है। बताया कि जब तक लोग सैंपल नहीं कराएंगे तो उपचार शुरू करने में दिक्कत आती रहेगी।
गांव में सैनिटाइजेशन का काम शुरू
लिब्बरहेड़ी में रविवार को प्रशासन की टीम गांव पहुंचने की खबर एडीओ पंचायत को लगी तो वह भी गांव में पहुंचे। उन्हें गांव में अभी तक सैनिटाइजेशन नहीं कराने के बारे में पूछा गया। इस पर उन्होंने स्वयं के संक्रमित होने की जानकारी दी। एएसडीएम ने उन्हें तुरंत गांव में सैनिटाइजेशन का काम शुरू करने के निर्देश दिए। इसके बाद उन्होंने गांव में सैनिटाइजेशन का काम शुरू कर दिया।