खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है। ताजा घटनाक्रम में ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने मंगलवार को सुषमा स्वराज से मुलाकात की। मुश्किल की घड़ी में ईरान ने सबसे पहले भारत का रुख किया है। जरीफ का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से तेल आयात को लेकर भारत समेत छह देशों की दी गई सीमित छूट को खत्म करने का ऐलान किया है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत और ईरान अमेरिकी प्रतिबंधों और उसके असर पर चर्चा करेंगे। दोनों देश इस बैठक में इस मुद्दे का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे। सोमवार को सऊदी अरब के दो टैंकरों सहित चार टैंकरों पर हमला किया गया था। एक अमेरिकी सैन्य दल के प्रारंभिक आकलन में सोमवार को कहा गया कि ईरानी या ईरानी समर्थित समर्थकों ने रविवार को विस्फोटक का इस्तेमाल कर संयुक्त अरब अमीरात के तट से दूर चार जहाजों में बड़ा छेद कर दिया। अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक जहाज में पानी की लाइन के पास या उसके ठीक नीचे 5- से 10 फुट का छेद किया गया।
अमेरिकी अफसरों ने नहीं दिया विवरण- टीम का शुरुआती तौर पर मानना है कि ये छेद विस्फोटकों के प्रयोग के कारण हुए हैं। अमेरिकी सेना के विशेषज्ञों की टीम को संयुक्त अरब अमीरात के अनुरोध पर नुकसान की जांच के लिए भेजा गया था, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने इस बारे में कोई विवरण नहीं दिया है कि विस्फोट में संभावित ईरानी भागीदारी के बारे में अभी तक क्या हुआ है या विस्फोट में शामिल होने के कोई सबूत है। जिस अधिकारी से जांच के लिए चर्चा की गर्इ, वह इसके लिए अधिकृत नहीं था। उसने नाम न छापने की शर्त पर यह बात कही। खाड़ी अधिकारियों ने टैंकरों को तोड़फोड़ के रूप में नुकसान के बारे में बताया। दो सऊदी तेल टैंकर, एक नार्वे के झंडे वाला जहाज और एक शारजाह का तेल टैंकर जो संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरात में से एक है, सभी को रविवार को नुकसान हुआ था।
फुजैरा शहर के पास बनाया गया निशाना- सऊदी के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फालिह ने कहा कि दो टैंकरों को काफी नुकसान हुआ है, लेकिन किसी व्यक्ति को चोट नहीं पहुंची और न ही समुद्र में तेल फैला। यूएई ने रविवार को कहा था कि कई देशों के चार वाणिज्यिक जहाजों को फुजैरा शहर के पास निशाना बनाया गया। सऊदी टैंकरों पर हमले के बाद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने मास्को की प्रस्तावित यात्रा रद कर दी और ईरान के बारे में यूरोपीय अधिकारियों से चर्चा के लिए ब्रुसेल्स रवाना हो गए। ब्रिटेन ने अमेरिका और ईरान के बीच टकराव बढ़ने की चेतावनी देते हुए कहा है कि इससे खाड़ी क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं। ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने यूरोपीय यूनियन और अमेरिकी विदेश मंत्री के बीच वार्ता होने तक शांति बनाए रखने की अपील की है।
ईरान ने हमले में शामिल होने से किया इन्कार- ईरान ने पहले ही इस घटना में किसी तरह की भूमिका से इनकार करते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। ईरान ने अपने बयान में इसे कुछ बुरा चाहनेवालों की साजिश और कुछ विदेशी ताकतों के रोमांच की कोशिश भी करार दिया है। अगले साल डॉनल्ड ट्रंप को फिर से चुनाव के लिए जाना है। अमेरिका द्वारा ईरान के खिलाफ और प्रतिबंध एवं प्रॉक्सी वॉर की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
अमेरिका ने ईरान से हमले की आशंका जताई थी- सऊदी अरब, इराक, यूएई, कुवैत, कतर और ईरान के भी ज्यादातर तेल का निर्यात हॉर्मूज जलडमरूमध्य से होता है और यह आंकड़ा कम से कम 1.5 करोड़ बैरल्स प्रतिदिन है। अमेरिका ने आगाह किया था कि ईरान क्षेत्र में समुद्री यातायात को निशाना बना सकता है।
खाड़ी सहयोग परिषद ने कहा, क्षेत्र में बढ़ सकता है संघर्ष- छह देशों वाली खाड़ी सहयोग परिषद के महासचिव अब्दुल लतीफ बिन राशिद अल जयानी ने कहा कि ऐसी गैरजिम्मेदाराना हरकतों से क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा और इसका नतीजा संघर्ष के रूप में निकल सकता है।
अमेरिका ने दिखाए तेवर, पश्चिमी एशिया क्षेत्र में मिसाइल-युद्धपोत तैनात- अमेरिका ने अपने युद्धपोत यूएसएस आरलिंगटन और यूएसएस अब्राहम लिंकन को पश्चिमी एशिया क्षेत्र में तैनात किया है। अमेरिका के रक्षा सलाहकार ने पहले ही कहा था कि अमेरिका के खिलाफ ईरान युद्ध की तैयारी कर रहा है। ईरान के आक्रमण करने की आशंका का हवाला देते हुए अमेरिका ने पश्चिम एशिया में पैट्रियट मिसाइलें भी तैनात की हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा का जायजा लेने के लिए इराक का दौरा भी किया। हालांकि, संयुक्त रूप से इन सभी घटनाक्रम का असर दोनों देशों के बीच तनाव के चरम पर पहुंच जाने के रूप में हुआ।