आर्थिक तंगी के वजह से 12वीं के आगे नहीं पढ़ पाने वाले भोजपुर के सुनील कुमार सिंह के फॉर्मूले पर आईआईटी पटना के इन्क्यूबेशन सेंटर में अक्षय ऊर्जा का मांग खोजा जा रहा है। इस खोज में बगैर बिजली के बल्ब जलने, बगैर पेट्रोल-डीज़ल के वाहनों के चलने में चुम्बकीये इंजन पर काम किया जा रहा है। विशेषज्ञों से हरी झंडी मिलने के बाद इस कांसेप्ट को जमीन पर उतरने की कोशिश उद्योग विभाग भी कर रहा है। 10 लाख रूपए स्टार्ट-अप के तहत सुनील को मिले हैं। इसमें 7.5 लाख रूपए आईआईटी इन्क्यूबेशन सेंटर से मिले हैं। स्टार्ट-अप में सुनील के साथ बीटेक आदित्य कुमार भी शामिल हैं। आईआईटी पटना के इन्क्यूबेशन सेंटर के इंचार्ज डॉ प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि मैग्नेटिक एनर्जी के माधयम से बल्ब और वाहन चलने के लिए “मैग्नेटिक जेट इंजन” पर सुनील काम कर रहे हैं।
तो वही सुनील कुमार सिंह ने बताया कि नयी मशीन का प्रेजेंटेशन मार्च में आईआईटी पटना में किया जायेगा। पटना में जरुरी संसाधन उपलब्ध नहीं होने क वजह से हैदराबाद में मशीन तैयार किया जा रहा है। लकड़ी पर सेट मशीन से तीन सेकंड तक बल्ब जलने में सफलता मिली थी। अब तरह तरह के धातु से मशीन तैयार की जा रही है। 2016 में ही सुनील कुमार सिंह को “सीता एंड सुनील मैगनेट जेट इंजीनियरिंग” में पेटेंट नंबर मिल चूका है। इस इंजन से ऊर्जा मिलने पर वायु या धवनि प्रदुषण की गुंजाइश नहीं है। भोजपुर के रामबाग, शिवगंज निवासी सुनील ने बताया कि चौथी कक्षा में पृथ्वी, सूर्य, चाँद की परिक्रमा की कहानी सुनी थी। तभी से मेरे मन में मैग्नेटिक एनर्जी को लेकर उत्सुकता जागी। बाद में इस पर काम करता रहा।.
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