नवजोत सिंह सिद्धू की खामोशी कायम है। इससे पंजाब कांग्रेस और कई बड़े नेताओं में बेचैनी का आलम है। पिछले एक हफ्ते से कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने नए ऊर्जा विभाग का कार्यभार नहीं संभाला है।
पूरे विवाद के बीच सिद्धू की बड़ी ख्वाहिश है और उनकी नजर बड़े पद पर लगी है। उनकी नजर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद या कैबिनेट में बड़े विभाग पर है। बिजली विभाग में इन दिनों किसानों को आठ घंटे बिजली की आपूर्ति करने के लिए बैठकों का सिलसिला लगातार चल रहा है। इन बैठकों से सिद्धू गायब हैं। इस बीच वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी से दिल्ली में मुलाकात भी कर चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद विभाग का कार्यभार संभालने को लेकर उनकी खामोशी ने कांग्रेस में कई तरह की चर्चा छेड़ दी है। सिद्धू की नजर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद या किसी बड़े महकमे पर है। राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच आई दूरियों को पाटने के लिए वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की ड्यूटी लगाई थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह आज (शुक्रवार) शाम दिल्ली जा रहे हैं। 15 जून को वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में होने वाली नीति आयोग की बैठक में शामिल होंगे।
इसी दिन उनकी अहमद पटेल से मुलाकात हो सकती है, जो सिद्धू का सियासी भविष्य तय करेगी। सिद्धू के कार्यभार न संभालने को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी अभी तक कोई बयान नहीं दिया है। सरकार में कोई मंत्री इतने महत्वपूर्ण विभाग का कामकाज न संभाले और मुख्यमंत्री भी इस चुप रहें, यह राजनीति के माहिरों की समझ में नहीं आ रहा। सभी की नजर इस बात पर लगी है कि सिद्धू का अगला कदम क्या होगा?
अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं जाखड़- गुरदासपुर से लोकसभा चुनाव हारने के बाद सुनील जाखड़ कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उनके करीबी का कहना है कि अब वह अध्यक्ष पद फिर से संभालने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाने की चर्चा चल रही है। इस चर्चा ने इसलिए भी जोर पकड़ा है, क्योंकि पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद पंजाब में सेकेंड लाइन लीडरशिप तैयार करना चाहती है। नवजोत सिद्धू कांग्रेस का वह चेहरा बन सकते हैं।
तीन तरह की चर्चाएं- सिद्धू और कैप्टन की खामोशी के चलते तीन तरह की चर्चा चल रही है। इनको लेकर उनका अपना आधार है। पहली चर्चा यह है कि सिद्धू ऊर्जा विभाग के अलावा कोई और बड़ा विभाग चाहते हैं, ताकि वह यह दिखा सकें कि उनकी भी पावर कम नहीं है। दूसरा यह कि सिद्धू स्वाभिमानी व्यक्ति हैं और उनसे स्थानीय निकाय जैसा विभाग लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई है। ऐसे में वह कोई और मंत्री पद ग्रहण करने में अपना अपमान समझते हुए इसे ग्रहण ही नहीं करेंगे। चर्चा है कि या तो वह बिना पद के मंत्री रहेंगे या फिर मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। पंजाब में इस तरह पहले भी हो चुका है। बेअंत सिंह के साथ संबंध खराब होने पर मनजिंदर सिंह बिट्टा बिना विभाग के मंत्री रह चुके हैं।