इस वर्ष श्री गणेशोत्सव (गणेश चतुर्थी) सोमवार दो सितंबर को मनाया जाएगा। दक्षिण भारत से चलकर यह उत्सव अब पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा एवं उत्साह से मनाया जाता है।
इस अवसर पर लोग गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति लाकर अपने घरों में स्थापित करते हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से चतुर्दशी तक चलने वाले इस श्री गणेशोत्सव समारोह में श्रद्धालु लोग कम से कम तीन दिन या अधिकतम दस दिन तक गणेश जी की पूजन, सेवा, भोग, आरती, कीर्तन आदि से अनुष्ठान पूर्ण करके गणेश प्रतिमा को जल में सम्मानपूर्वक विसर्जित कर देते हैं। कहा जाता है कि गणेश जी के घर मे पधारने से धन-धान्य, ऋद्धि-सिद्धि आती है।
श्री गणेश जी को घर लाने के शुभ मुहूर्त दो सितंबर को सुबह 4.50 से सात बजे तक रहेगा। इस दौरान ब्रह्म मुहूर्त, सिंह लग्न, स्थिर लग्न रहेगा। मध्याह्न 11:45 बजे से 2:00 बजे तक अभिजित मुहुर्त, वृश्चिक लग्न, स्थिर लग्न रहेगा। शाम 5:53 बजे से 7:16 बजे तक प्रदोष काल, गौधूलि वेला एवं कुम्भ लग्न रहेगा। इन सभी शुभ मुहूर्त में श्रीगणेश जी का आगमन एवं स्थापना उत्तम रहेगी। पांच, आठ एवं 11 सितम्बर को भी श्री गणेश स्थापना के शुभ मुहूर्त हैं। गणेश प्रतिमाओं को 13 सितम्बर को विसर्जित किया जाएगा।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चन्द्र दर्शन करना निषेध है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रात्रि को चांद देखने से एक वर्ष के अन्दर कोई न कोई कलंक अवश्य लगता है। पुराणों में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण को भी इस दिन चन्द्र दर्शन करने से कलंक का सामना करना पड़ा था। इसलिए इस चतुर्थी को कलंक चतुर्थी या पत्थर चतुर्थी भी कहते हैं। यदि जाने अनजाने में चंद्र दर्शन हो जाए तो वही खडे होकर एक पत्थर उठाकर चांद की ओर फेंक देना चाहिए। गणेश अथर्व शीर्ष का पाठ करना चाहिए।