नगरोटा बगवां के कबाड़ी निवासी संतोष दुनिया के उन विशेष लोगों में शामिल हैं, जिनका दिल छाती के दाईं तरफ है। संतोष को भी शनिवार को ही इसका पता चला। शनिवार को 52 वर्षीय संतोष कुमार के सीने में अचानक दर्द उठा। परिजन तत्काल उन्हें डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा लाए। कार्डियोलॉजी विशेषज्ञों ने प्राथमिक जांच के बाद तुरंत ईसीजी करवाने की सलाह दी। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश राणा और डॉ. अंबुधर उस समय हैरान हो गए कि ईसीजी में कुछ नहीं आया यानी दिल की धड़कन नहीं दिख रही थी।
दोनों विशेषज्ञों ने अपनी निगरानी में दोबारा ईसीजी करने को कहा। तकनीशियन दोबारा ईसीजी करने लगा तो उसे एहसास हुआ कि संतोष का दिल छाती के दाईं तरफ धड़क रहा है। तब उन्हें पता चला कि संतोष डेक्स्ट्रोकार्डिया है। जांच में पता चला कि उनके हृदय की नसों में 70 से 80 प्रतिशत ब्लॉकेज थी। दोनों विशेषज्ञों ने दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद संतोष की जान बचा ली। स्टेंट डालकर ब्लॉकेज खोल दिया गया है। संतोष की सेहत में सुधार हो रहा है। जल्द उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।
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डॉ. नरेश राणा व डॉ. अंबुधर को जब यह पता चला कि संतोष डेस्क्ट्रोकार्डिया है तो सबसे पहली समस्या यह थी कि एंजियोप्लास्टी कैसे की जाए क्योंकि सारा सेटअप यानी मशीनरी और अन्य उपकरण बाईं तरफ दिल के अनुरूप स्थापित किए गए हैं। दोनों विशेषज्ञों को पूरी टीम के साथ स्टेंट डालने में दो घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। ब्लॉकेज खोलने के लिए पहले एक तार डालने का प्रयास किया पर सफलता नहीं मिली। फिर एक साथ दो तारें डालने पर सफलता मिली। अब हार्ट की ब्लॉकेज 100 प्रतिशत तक खोल दी गई है।
डेक्स्ट्रोकार्डिया दुर्लभ हृदय स्थिति है। इसमें व्यक्ति का दिल बाईं तरफ होने की बजाय छाती के दाईं तरफ होता है। डेक्स्ट्रोकार्डिया जन्मजात है। सामान्य आबादी के एक प्रतिशत से भी कम लोग डेक्स्ट्रोकार्डिया के साथ पैदा होते हैं।
धीरा में सर्राफ की दुकान करने वाले संतोष कुमार को भी नहीं पता था कि उनका दिल छाती के दाईं तरफ है। संतोष खुश हैं कि उनकी जान बच गई। जान बचाने के लिए उन्होंने कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेश राणा और डॉ. अंबुधर के अलावा उनकी पूरी टीम का आभार व्यक्त किया है।