जिस प्रकार हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने का विधान है। ठीक उसी तरह गणेश जी को भी सिंदूर चढ़ाने की प्रथा चली आ रही है। जहां हनुमान जी को नारंगी सिंदूर चढ़ाने का विधान है वहीं गणेश जी की पूजा में लाल रंग का सिंदूर इस्तेमाल किया जाता है। क्या आप गणेश जी को सिंदूर चढ़ाने के पीछे का कारण जानते हैं? अगर नहीं तो यहां पढ़िए पौराणिक कथा।
हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा विशेष महत्व रखती है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी को जरूर याद किया जाता है। माना जाता है कि इससे व्यक्ति का वह कार्य बिना किसी बाधा के पूरा होता है, इसलिए बप्पा जी को विघ्नहर्ता के रूप में भी जाना जाता है। तो चलिए जानते हैं कि गणेश जी को सिंदूर अर्पित करने से व्यक्ति को अपने जीवन में क्या-क्या लाभ देखने को मिल सकते हैं।
ये है पौराणिक कथा
शिव पुराण वर्णन मिलता है कि अपनी माता की आज्ञा का पालन करते हुए, गणेश जी ने भगवान शिव को गुफा (स्नानगृह) में जाने से रोक दिया। इसपर शिव जी अति क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेश जी का सिर काट दिया था। तब माता पार्वती के कहने पर उन्होंने दोबारा गणेश जी को जीवनदान देने का निर्णय लिया। तब शिव जी ने अपने शिवगणों को यह आदेश दिया कि तुम्हें जो भी पहला मस्तिष्क दिखे वह ले आओ।
इसपर शिवगण हाथी का मस्तक लेकर आए। शिव जी ने जब गणेश जी को हाथी का मस्तक लगाया, तो उसपर पहले से ही सिंदूर लगा हुआ था। तब माता पार्वती ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि सिंदूर से ही हमेशा तुम्हारी पूजा की जाएगी। इस वजह से गणेश जी पूजा में सिंदूर का इस्तेमाल मुख्य रूप से किया जाता है।
यह भी है मान्यता
सिंदूर न केवल सुहार की निशानी माना गया है, बल्कि सनातन मान्यताओं के अनुसार, सिंदूर को मंगल का प्रतीक माना जाता है। सिंदूर का प्रयोग करने से व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा से बचा रहता है। ऐसे में यदि कोई मनुष्य गणेश जी के पूजन में सिंदूर का उपयोग करता है, तो उसे नकारात्मकता से लड़ने की शक्ति मिलती है।
मिलते हैं ये लाभ
बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित माना गया है। इस दिन पूजा के दौरान सिंदूर अर्पित करने से विघ्नहर्ता गणेश साधक के जीवन के सभी कष्टों को हर लेते हैं। साथ ही गणेश जी को लाल सिंदूर अर्पित करने से व्यक्ति के जीवन में शांति व समृद्धि बनी रहती है।