अमेजन प्राइम वीडियो की हालिया रिलीज फिल्म ए वतन मेरे वतन के बाद आगामी दिनों में एक्टर इमरान हाशमी ( Emraan Hashmi) पैन इंडिया फिल्म गुड़ाचारी 2 (जी2) और दे काल हिम ओजी में दिखेंगे। करियर के इस मोड़ पर जोखिम लेना राजनीति में सितारों की दिलचस्पी और अपकमिंग फिल्मों पर इमरान हाशमी ने जागरण डॉट कॉम से खास बातचीत की।
‘सीरियल किसर’ की छवि रखने वाले अभिनेता इमरान हाशमी अब इस टैग को पीछे छोड़ चुके हैं। टाइगर 3 फिल्म में नेगेटिव भूमिका में दिखे इमरान हाल ही में अमेजन प्राइम वीडियो की फिल्म ए वतन मेरे वतन में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले राजनेता राम मनोहर लोहिया की भूमिका में नजर आए। आगामी दिनों में वह पैन इंडिया फिल्म गुड़ाचारी 2 (जी2) और दे काल हिम ओजी में दिखेंगे। करियर के इस मोड़ पर जोखिम लेना, राजनीति में सितारों की दिलचस्पी और आगामी फिल्मों पर इमरान हाशमी से हुई बातचीत के अंश..
टाइगर 3 में विलेन के बाद राम मनोहर लोहिया की भूमिका में जाना जोखिम भरा कदम नहीं लगा ?
जोखिम सोचेंगे, तो मन में डर बैठ जाएगा। मैं बहुत स्पष्टता के साथ रोल चुनता हूं। अगर फिल्म के निर्माता और निर्देशक को लगता है कि मैं रोल निभा पाऊंगा, तो वह मेरे लिए प्राथमिकता होती है। कलाकार और मेकर्स के भरोसे का ही रिश्ता होता है।
अब भारतीय राजनीति से जुड़े किसी और व्यक्ति का रोल करना चाहेंगे?
मुझे राजनीति में उतनी रुचि नहीं है, न ही इतना ज्ञान है, लेकिन जब कोई निर्देशक या लेखक मेरे पास आता है, तो यह मेरी ड्यूटी बनती है कि मैं उस व्यक्ति के बारे में जानूं। अगर कोई ऐसी कहानी मुझे ऑफर होगा, जो मैं जिस किस्म के रोल करता आ रहा हूं, उस स्टीरियोटाइप को तोड़ेगा, तो बिल्कुल करूंगा।
राजनीति में आपकी दिलचस्पी ना होने के पीछे कोई खास वजह है?
यह रुझान की बात होती है। व्यक्तित्व के अनुसार आपको कुछ चीजें पसंद होती हैं, कुछ नहीं। मैंने कभी राजनीति में आने के बारे में नहीं सोचा, लेकिन कहते हैं कि कभी किसी चीज को ना नहीं कहना चाहिए । अगर भविष्य में मुझे लगा कि राजनीति की ओर रुझान बढ़ रहा है, तो अपने दर्शकों के लिए कुछ करना चाहूंगा, जिन्होंने इतना प्यार दिया है। कलाकार जब राजनीति में जाते हैं, तो उन पर उस जनता की जिम्मेदारी होती है, जिसकी वजह से वह कलाकार बने हैं। राजनीति में यह सोचकर नहीं जाना चाहिए कि इससे करियर में मदद मिलेगी।
आपकी फिल्म मर्डर ने बीस साल पूरे किए हैं। जब फिल्म की थी, तब लगा था सफर इतना लंबा होगा ?
उस वक्त मेरे पास चुनने की च्वाइस नहीं थी। मेरी पहली फिल्म फुटपाथ टिकट खिड़की पर नहीं चली थी। उसमें सपोर्टिंग रोल था, लेकिन लोगों ने नोटिस किया। फिर मर्डर फिल्म मिली, जो मेरी पहली हिट फिल्म थी। इसमें निर्देशक-निर्माता, लेखक सबका योगदान रहा।
मर्डर में नेगेटिव रोल को लेकर कोई दुविधा थी?
अगर ऐसा सोचता, तो पहली ही फिल्म में ही सपोर्टिंग एक्टर का रोल करने की बजाय हीरो के रोल का इंतजार करता। इंडस्ट्री के तौर तरीके जैसा मेरा दिमाग नहीं चलता है। यह अच्छी और बुरी दोनों ही बात हो सकती है। जब लोग कहते हैं कि ऐसा नहीं करना चाहिए, तो मैं वही करता हूं। मैंने इंडस्ट्री के तय मानक से हटकर काम करने का जोखिम लिया, जो मेरे काम आया । मेरा किसी ने मार्गदर्शन नहीं किया।
मार्गदर्शक का न होना फायदेमंद साबित हुआ?
हां, अगर मार्गदर्शन होता, तो फिर मुझे पारंपरिक हीरो बनने की राह पकड़ने के लिए कहा जाता। शायद मैं उस राह पर नहीं चलता । मैं पारंपरिक बालीवुड हीरो जैसा नहीं हूं। मेरी दादी कहती थीं कि ना तुम्हारे लुक्स हीरो जैसे हैं, न डांस करना आता है। मैं अपने दूसरे कौशल को फिल्म में उभारने की कोशिश करता आया हूं।
दक्षिण भारतीय फिल्मों की ओर रुख क्यों?
(हंसते हुए) क्योंकि वहां की फिल्में चल रही हैं । मुझे लगता है कि उन्होंने मास फिल्मों पर पकड़ बनाए रखी है। पिछले कुछ सालों में हमारी फिल्म इंडस्ट्री में वह पकड़ ढीली हो चुकी है। हालांकि मैं हिंदी फिल्में भी कर रहा हूं, लेकिन साउथ से भी ऑफर आ रहे हैं। जब मैंने ओजी और जी2 की कहानी सुनी, तो मैं हैरान रह गया। लेखन और निर्देशक का विजन कमाल का है। यह पैन इंडिया फिल्में हैं, जो कई भाषाओं में डब होंगी। किसी भी कलाकार की जीत यही होती है, वह ज्यादा लोगों तक पहुंचे । इन दोनों फिल्मों में वह बात है।