बहुत ही प्रचलित शब्द है ‘धरना’। यह शब्द हम सभी ने अमूमन सुना है। लेकिन झारखंड में दो ऐसे मंदिर है, जहां ‘भक्त’ भगवान के सामने धरना देते हैं। यह धरना वह अपनी मनोकानापूर्ति के लिए करते हैं।
धरना देने के लिए मशहूर पहला मंदिर दुमका जिले में है। भगवान शिव के इस मंदिर में भक्त महीनों तक धरने पर बैठे रहते हैं। आलम यह है कि कई भक्त यहां वर्षों से धरने पर बैठे हुए हैं। मंदिर में धरना दे चुके लोगों का मानना है कि मंदिर से सामने धरना देने से उनकी मनोकामनाएं और कई गंभीर बीमारियां ठीक हुई हैं। भगवान शिव का यह मंदिर ‘बाबा बैद्यनाथ’ के नाम से प्रसिद्ध है।
दूसरा मंदिर प्रदेश के ही कोडरमा जिले में है। यहां भक्त संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ति के लिए धरना देते हैं और कुछ दिन बाद घर चले जाते हैं। यह मंदिर चंदवारा प्रखंड में, दोहमुहानी धाम के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भी भगवान शिव का मंदिर है। जहां श्रावण माह में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
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यह मंदिर दो नदियों के किनारे पर स्थित है। मंदिर की स्थापना 1972 में हुई थी। कहते हैं जो भी निः संतान दंपत्ति यहां सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर यहां कुछ दिन धरना देता है। उसकी मुराद जरूर पूरी होती है।