जीवन के तमाम सुख और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली देवी मां लक्ष्मी को लेकर हर किसी की चाहत होती है कि वो उसके घर में स्थायी रूप से रहें और उसका धन का भंडार दिन दुगुना रात चौगुना होता रहे। धन की देवी उसी के घर में टिकती हैं, जिनके यहां पवित्रता होती है। जो आलस्य को छोड़कर धर्म के पथ पर चलता हुआ कर्म करता है। वहीं बुरी आदतों वाले अकर्मण्य व्यक्ति के घर से धन की देवी रूठ कर चली जाती हैं। आइए जानते हैं कि वो कौन सी बुरी आदते हैं, जिनके कारण धन और सुख का नाश हो जाता है —
1.
भतृहरि के अनुसार धन की तीन गतियां हैं — दान, भोग और नाश। यदि कोई मनुष्य संपन्न होते हुए भी जरूरतमंद को दान नहीं करता है तो निश्चित रूप से कुछ समय बाद उसका धन नष्ट हो जाता है। इसी तरह यदि धन होने के बावजूद वह उसे नहीं खर्च करता है तो भी वह नष्ट हो जाता है। जबकि दान और भोग नहीं करने वाले व्यक्ति का धन तो अंतिम गति पाते हुए नष्ट हो ही जाता है।
2.
शास्त्रों के अनुसार आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है। कहते हैं कि आलसी व्यक्ति के यहां कभी लक्ष्मी नहीं टिकती हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने काम में टाल—मटोल करता है और आज के काम को कल पर टालने की प्रवृत्ति वाला है, तो ऐसे व्यक्ति के पास कभी धन नहीं टिकता है। मां लक्ष्मी हमेशा कर्म एवं कर्तव्यनिष्ठ के यहां टिकती हैं, जबकि आलसी व्यक्ति के पास जो धन पहले से होता है, वह भी नाश हो जाता है।
3.
आलसी व्यक्ति की तरह दिन में सोने वाले व्यक्ति के घर में भी लक्ष्मी कभी नहीं टिकती हैं। ऐसे व्यक्ति का धन बहुत जल्दी समाप्त हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि धन की इच्छा हो तो कभी भी दिन में नहीं सोना चाहिए। हालांकि दिन में रोगी और बच्चे को सोने की छूट होती है।
4.
मान्यता है कि कामी व्यक्ति के यहां भी मांं लक्ष्मी नहीं ठहरती हैं। ऐसे व्यक्ति के पास कितना भी धन हो वह बहुत जल्दी ही नाश हो जाता है। पौराणिक कथाओं में कामी व्यक्ति के पतन के तमाम उदाहरण मौजूद हैं। जहां देवराज इंद्र ने कई बार काम भाव के कारण अपनी सत्ता गंवाई वहीं रावण के विनाश की भी यही वजह बनी थी।
5.
काम की तरह क्रोध भी मनुष्य के धन के नाश का कारण बनता है। क्रोध व्यक्ति का सब कुछ छीन लेता है। शास्त्रों के अनुसार विपरीत परिस्थिति में कभी अपना आपा नहीं खोना चाहिए। विपत्ति के दौरान जो लोग संयम खो देते हैं और क्रोध करते हैं, उनका और उनके धन का अक्सर नाश होता है। शास्त्रों में क्रोध को असुरों का गुण कहा गया है और इसी कारण असुर हमेशा देवताओं से हारे हैं।
6.
तन हो या धन, कभी भी भूलकर इसका अभिमान नहीं करना चाहिए। किसी भी प्रकार का घमंड विनाश का कारण बनता है। पौराणिक कथाओं में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे, जिसमें व्यक्ति का सर्वस्व घमंड के कारण नाश हो गया। रावण, हिरण्यकश्यप, दुर्योधन, जरासंध, बालि सभी अपने घमंड के कारण सत्ता, धन आदि लुटा बैठे।
7.
किसी के प्रति ईर्ष्या या फिर कहें जलन अक्सर इंसान की प्रगति में बाधक बनती है और अंतत: उसके नाश का कारण बनती है। सही अर्थों में ईर्ष्या करने वाला व्यक्ति स्वयं को जलाता है। इसका उदाहरण हमें महाभारत में मिलता है। कर्ण एक महान योद्धा था, लेकिन उसके मन में अर्जुन को लेकर ईर्ष्या की भावना थी। इसी भावना के कारण वह सही और गलत का भेद करने में असमर्थ रहा और अंतत: अर्जुन के हाथों ही मृत्यु को प्राप्त हुआ।
8.
किसी भी चीज को लेकर ज्यादा मोह अहितकर होता है। सुख-संपत्ति और धन के विनाश का कारण मोह भी बनता है। दरअसल, जब किसी व्यक्ति को किसी चीज से अत्यधिक लगाव हो जाता है तो वह उसे पाने के लिए गलत और सही के बीच में भेद नहीं कर पाता है। नतीजतन वह अधर्म के रास्ते पर चलता हुआ, अंतत: अपना सर्वस्व लुटा बैठता है। बिल्कुल वैसे ही जैसे धृतराष्ट्र ने अपने पुत्र से मोह किया और परिणाम स्वरूप महाभारत का युद्ध हुआ।
9.
शास्त्रों में कहा गया है — संतोषम् परम् सुखम्। अर्थात् संतोष ही जीवन का सबसे बड़ा सुख है। जबकि लालच मनुष्य को विनाश की ओर ले जाता है। लोभ के कारण आदमी वह सब कुछ भी खो देता है जो उसके पास होता है। इसलिए किसी दूसरे के धन को देखकर लालच नहीं करना चाहिए। कौरवों ने पांडवों के धन का लोभ किया लेकिन अंतत: धन और जन दोनों का नुकसान हुआ।
10.
पराई स्त्रियों पर गलत दृष्टि रखने वाले व्यक्ति का मान-सम्मान और धन सब कुछ नष्ट हो जाता है। जो व्यक्ति पर स्त्री पर संबंध रखते हैं या अनैतिक संबंध बनाते हैं, उन्हें जीवन में कभी सम्मान नहीं प्राप्त होता है। ऐसा चाल-चलन न सिर्फ कलंक बल्कि धन और जीवन दोनों के नष्ट होने का कारण बनता है।