पश्चिम बंगाल में इस साल अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं.
इसी क्रम में सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली फुरफुरा शरीफ दरगाह के संस्थापक पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने अपनी पार्टी बनाने की घोषणा की है.
बंगाल चुनावों से पहले अब्बास सिद्दीकी ने बुधवार को कहा कि वह 21 जनवरी को एक अलग राजनीतिक दल की घोषणा करेंगे। बता दें कि जनवरी की शुरुआत में सिद्दीकी ने एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद ओवैसी ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी मौलवी के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। गौरतलब है कि एक समय में सिद्दीकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफी करीबी रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के मुखर समर्थक माने जाने वाले सिद्दीकी अब खुलकर राज्य की ममता सरकार पर हमला बोल रहे हैं।
सिद्दीकी ने संकेत दिया कि उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल में रहने वाले मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों के लिए एक मंच होगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी बंगाल विधानसभा चुनाव में 60-80 सीटों पर लड़ेगी। इतना ही नहीं मौलवी ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह व्यक्तिगत रूप से चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि अब तक उन्होंने स्पष्ट रूप से प्रकट करने से इनकार कर दिया है कि वह आगामी चुनावों के लिए किसके साथ सहयोगी हैं। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने 2016 के विधानसभा चुनाव में 294 सदस्यीय विधानसभा में 211 सीटों पर कब्जा कर लिया था।
बीते कुछ महीनों से सीएम ममता बनर्जी और 38 वर्षीय अब्बास सिद्दीकी के बीचे कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अब्बास सिद्दीकी ने ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अपने इस मोर्चे के साथ उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी मुस्लिमों की अनदेखी कर रही है। जिसका चुनाव में असर देखने को मिल सकता है। आपको बता दे कि बंगाल में फुरफुरा शरीफ की दरगाह का प्रभाव 100 सीटों पर है। ऐसे में इस वक्त अब्बास सिद्दीकी का ममता बनर्जी से खफा होना टीएमसी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।