आरएसएस नेता राम माधव (RSS Leader Ram Madhav) ने कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे (India-China Border Issue) पर ‘मुझे इस विवाद को अपने जीवनकाल में सुलझाना चाहिए’ का दृष्टिकोण काम नहीं करेगा। उन्होंने तर्क दिया कि लंबे समय से चली आ रही तकरार चीन जैसे ‘सांस्कृतिक राष्ट्र’ से निपटने में मदद नहीं करेगी। कर्नल अनिल भट्ट, वीएसएम (सेवानिवृत्त) की एक पुस्तक ‘चाइना ब्लडीज बुलेटलेस बार्डर्स’ का विमोचन करते हुए, दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध के बाद से भारत-चीन के अशांत संबंधों का विवरण देते हुए माधव ने कहा कि किसी को भी इसे ‘विरासत का मुद्दा’ नहीं बनाना चाहिए। कोई नहीं जानता कि आखिर कौन इस मुद्दे को सुलझाएगा।

‘नशे में धुत नेता ने सुलझाया सोवियत संघ- चीन सीमा विवाद’
मंगलवार को राम माधव ने कहा, ‘क्या आप जानते हैं कि तत्कालीन सोवियत संघ (Soviet Union) और चीन के बीच महान सीमा विवाद को बोरिस येल्तसिन (पहले रूसी राष्ट्रपति) नामक एक पूरी तरह से नशे में धुत नेता ने हल किया था। अब, किसने सोचा होगा कि येल्तसिन आखिरकार उस मुद्दे को सुलझा लेंगे। लेकिन उन्होंने ऐसा किया। यह उनके क्रेडिट में चला गया।’
‘भारत-चीन सीमा विवाद सुलझने वाला नहीं है’
राम माधव ने कहा कि ‘एक (भारत-चीन सीमा) समाधान के लिए जल्दी मत करो. यह सुलझने वाला नहीं है, क्योंकि आप किसी अन्य देश से नहीं, बल्कि एक सभ्यता, एक सांस्कृतिक राष्ट्र के साथ समझौता कर रहे हैं।’ सोवियत संघ के राजनेता येल्तसिन शीत युद्ध की समाप्ति पर रूसी संघ के पहले राष्ट्रपति (1991-99) बने।
‘एक बार में पांच लक्ष्यों पर ध्यान देता है चीन’
आरएसएस नेता ने तर्क दिया कि जहां भारतीयों को एक बहुत ही ‘रोमांटिक और आदर्शवादी संस्कृति’ में प्रशिक्षित किया जाता है, जहां युद्ध की रणनीति में भी हम अर्जुन (महाकाव्य महाभारत में पांच पांडवों में से एक) के एकल-दिमाग वाले फोकस को याद करते हैं, वहीं दूसरी ओर चीन एक के बजाय एक बार में पांच लक्ष्य रखने में विश्वास रखता है।
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