नई दिल्ली/ अहमदाबाद। गुजरात के मुख्यमंत्री पद से आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अब यह कुर्सी किसे मिलेगी। गुजरात में मंत्री नितिन पटेल, प्रदेश अध्यक्ष विजय रूपाणी, विधानसभा अध्यक्ष गणपत भाई बसावा और संगठन महामंत्री भीखू भाई दलसाणिया के नाम आगे माने जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, जो स्थिति है, उसमें भाजपा के लिए 2017 का चुनाव मुश्किल माना जा रहा था। लिहाजा, अब जातिगत समीकरण के साथ-साथ ऐसे व्यक्ति को आगे लाने की कोशिश होगी जो हर किसी को साथ लेकर चलने की क्षमता रखता हो। नितिन पटेल शुरू से शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीकी माने जाते हैं। वह कड़वा पटेल समुदाय से आते हैं।
वहीं युवा रूपाणी की पकड़ संगठन पर मजबूत है। वणिक समुदाय से होने के नाते भी उनकी दावेदारी मजबूत हो सकती है। इनके बीच गणपत भाई वसावा और भीखू भाई दलसाणिया हर किसी को हैरत में डालते हुए आगे भी निकल सकते हैं। आदिवासी समुदाय से आने वाले वसावा सभी दावेदारों में सबसे युवा हैं। गुजरात में लगभग 20 फीसद आदिवासी हैं और लगभग दो दर्जन सीटों पर उनका प्रभाव है। संघ से आने वाले दलसाणिया संगठन के आदमी हैं।
गुजरात, भाजपा और आनंदीबेन
– कुछ दिनों पहले तक खुद को मजबूत और प्रदेश के लिए उपयोगी बताती रहीं गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल को आखिरकार पार्टी लाइन पर आना ही पड़ा।
– गुजरात चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन की भाजपा की मंशा को अमलीजामा पहनाते हुए उन्होंने खुद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को इस्तीफा भेज दिया।
– आनंदीबेन को मुख्यमंत्री पद से हटाकर राज्यपाल बनाने की कवायद पहले से चल रही थी। दरअसल, गुजरात में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव है और कुछ मायनों में यह चुनाव उत्तर प्रदेश चुनाव से भी अहम होने वाला है।
– पिछले महीनों में जिस तरह वहां पटेल आंदोलन ने रंग लिया और फिर स्थानीय चुनाव में भाजपा की शिकस्त हुई, उससे नेतृत्व पहले से आशंकित था।
– मुख्यमंत्री के बदलाव की मंशा तो पहले से थी लेकिन पिछले दिनों पटेल की पुत्री के खिलाफ कुछ मामलों ने इसे और तेज कर दिया।
– हाल में ऊना में गाय की खाल को लेकर दलितों की पिटाई को मुद्दा बनाकर विपक्ष जिस तरह गोलबंद हो रहा है, उससे भी पार्टी नेतृत्व चिंतित है।