आज 15 मार्च को भानु सप्तमी है. भानु सप्तमी का व्रत सूर्य देव को समर्पित माना जाता है. भानु सूर्य भगवान को कहा जाता है. हिंदू धर्म में सूर्य देव को ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भानु सप्तमी को यदि कोई भक्त पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य देव की आराधना करता है तो उसके सभी पाप कर्मों और दुखों का नाश होता है. सूर्य देव को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना गया है. आज के दिन जो भी भक्त सूर्य देव की पूजा अर्चना, समय आदित्य ह्रदयं और अन्य सूर्य स्त्रोत का पाठ करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है. वहीं इसे सुनने वालों को भी शुभ फल की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने से याददाश्त अच्छी होती है और मन शांत होता है.

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को सुबह उठकर जो भी भक्त पूरे विधि-विधान के साथ भानु सप्तमी का व्रत रखता है उसे मनचाहा फल मिलता है. इस दिन जो भी भक्त प्रयागराज के संगम में डुबकी लगा पाते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है. ऐसा भी माना जाता है कि जो भक्त इस दिन गंगा स्नान करके सूर्य भगवान को जल अर्पित करता है उसकी आयु लंबी होती है, उसकी काया निरोगी रहती है और उसे कभी भी धन की कमी नहीं होती है.
भानु सप्तमी मुहूर्त:
भानु सप्तमी तिथि का प्रारंभ आज से हो चुका है. भानु सप्तमी का शुभ मुहूर्त 16 मार्च दिन सोमवार को तड़के 03 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.
भानु सप्तमी को सुबह स्नान करने के बाद पूरे मन से सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद एक तांबे के बर्तन में साफ पानी भरकर तथा उसमें लाल चंदन, अक्षत, लाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को ‘ॐ सूर्याय नमः’ कहते हुए अर्घ्य दें और उनसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वो अपनी कृपा आप पर बनाए रखें. जो भी भक्त इस विशेष दिन पर दान-पुण्य करते हैं उनके घर में हमेशा धन-धान्य भरा रहता है.
सूर्य देव का बीज मंत्र:भानु सप्तमी सूर्य देव को समर्पित मानी जाती है. इस दिन सूर्य देव की पूजा करते समय उनके बीज मंत्र ‘ ऊँ घृणि सूर्याय नम:’ और ‘ ॐ सूर्याय नम:’ का पाठ जरूर करें.
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