आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है और आज के दिन माँ कुष्मांडा का पूजन किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं माँ कुष्मांडा की कथा और पूजा विधि।

माँ कुष्मांडा की कथा- कहते हैं मां कुष्मांडा वही देवी है जिन्होंने संसार को दैत्यों के अत्याचार से मुक्त करने के लिए ही अवतार लिया था। माँ का वाहन सिंह है। वहीं हिंदू संस्कृति में कुम्हड़े को ही कुष्मांड का नाम दिया गया है इस वजह से इस देवी को कुष्मांडा कहा जाता है। कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। इन्हें आदि स्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है। मान्यता है कि इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में स्थित है। कहते हैं जब मां कूष्मांडा की उपासना की जाए तो इससे आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
माँ कुष्मांडा की पूजा विधि- आज स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद मां कूष्मांडा का स्मरण कर लें। अब उसके बाद माँ को धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें। अब इसके बाद मां कूष्मांडा को हलवा और दही का भोग लगाएं। अंत में उसे ही प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर सकते हैं और घर में बाँट भी सकते हैं। ध्यान रहे पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती जरूर करें और इसी के साथ आप अपनी मनोकामना भी उनसे व्यक्त कर दें।
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