टोक्यो ओलंपिक 2020 में बजरंग पूनिया भारत की सबसे बड़ी उम्मीद है। कुश्ती की नर्सरी हरियाणा में जन्मा यह पहलवान आज अपना 26वां बर्थडे मना रहा है। झज्जर जिले के खुदान गांव की मिट्टी में पले-बढ़े बजरंग तीन विश्व चैंपियनशिप जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं।
गोल्डकोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड और फिर जकार्ता में खेले गए 2018 एशियाई खेलों के गोल्ड मेडलिस्ट इस इस पहलवान को कुश्ती विरासत में मिली। पिता बलवान पूनिया भी एक पहलवान थे, लेकिन आर्थिक तंगी और खराब हालातों के चलते उन्हें कभी खुद को साबित करने का मौका नहीं मिला।
परिवार के खस्ता हालात तब भी बरकरार रहे जब बजरंग पहलवानी सीख रहे थे, लेकिन पिता ने अपनी तरह बेटे के अरमानों को बलि नहीं चढ़ने दी। ऐसा बताया जाता है कि बजरंग के पिता ज्यादा रुपया खर्च न हो इसलिए बस या ऑटो की जगह साइकिल से सफर तय करते थे।
यह पैसा वह सिर्फ इसलिए बचाते थे ताकि पहलवानी सीख रहे बजरंग को अच्छी डाइट मिल सके। बजरंग को घी और दूध समय पर मिल, इसके लिए परिवार ने कई सालों तक अपने हालातों से समझौता किया।
दुनिया की नजर बजरंग पर तब पड़ी जब उन्होंने 2013 में 60 किग्रा भारवर्ग में विश्व चैंपियनशिप का कांस्य पदक जीता। महज 19 साल की उम्र में किए इस कमाल से ओलंपियन योगेश्वर दत्त बेहद प्रभावित हुए और अपनी निगरानी में उन्हें ट्रेन करना शुरू किया।