70वें स्वतंत्रता दिवस (15अगस्त) के मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बलूचिस्तान , गिलगित जैसे पाकिस्तानी क्षेत्रों को पकिस्तान से आज़ादी दिलाने की बात कही,जिसका पुरे देश भर में खुल कर समर्थन किया गया| खुद मोदी जी से कई बलोची नेताओं ने व्यक्तिगत तौर पर भी अपील की,कि उनकी पकिस्तान से आज़ादी के जंग में ( Independent Baluchistan ) भारत उनके साथ आये और इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहुचाये|
लेकिनपाकिस्तान को ये बात रास नही आयी और उसने गिलगित और बलोचिस्तान के लोगों पर अपने सैन्य बलों के द्वारा हमले कराने शुरू कर दिए| इसका असर ये हुआ की बलोची और बागी हो गये और उनके आन्दोलन ने और जोर पकड़ लिया| लेकिन, इसी बिच अमेरिका से आई एक खबर ने बलोचियों को निराश कर दिया|
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कल अपने दैनिक संवाददाता सम्मलेन में कहा कि यह पाकिस्तान का आन्तरिक क्षेत्रीय मामला है और हम उसकी क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करते हैं| हम आजाद बलोचिस्तान के समर्थन में नहीं खड़े है|
इस सम्मलेन में जब जॉन किर्बी से पुछा गया कि, ‘बलोचिस्तान पर अमेरिका का क्या रुख है?’ इस पर किर्बी ने जवाब दिया कि, “अमेरिका पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और एकता का सम्मान करता है| हम स्वतंत्र बलोचिस्तान का किसी भी रूप में कोई समर्थन नही करेंगे|”
अमेरिकी प्रवक्ता जॉन किर्बी के लिए यह बोलना तो बहुत आसान था लेकिन, उन्हें बलोचियों के दर्द को भी समझना चाहिए| आज वो नरसंहार जैसे संकट से जूझ रहे हैं| ऐसी स्थिति में उन्हें बस मोदी जी और उनकी सरकार का आसरा है| भारत अपने मैत्रीपूर्ण व्यव्हार के लिए दुनिया भर में जाना जाता है| ऐसे में हो सकता है कि भारत अमेरिका के साथ वार्ता कर के उसे इस मुद्दे पर राजी कर लेगा, इजराइल ने इस मुद्दे पर भारत का पूर्ण समथन किया है और उन्होंने कहा है कि, वो भारत के लिए किसी भी मुसीबत में भारत के साथ खड़ा रहेगा|
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