भारत और चीन के सैन्य अफसरों के बीच बातचीत से पहले दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों ने एक अहम बैठक की है. शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई इस बैठक में दोनों देशों के अधिकारियों ने बॉर्डर पर तनाव को कम करने पर चर्चा की.
बैठक के बाद चीन के रुख में नरमी दिखी है. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन और भारत ये सुनिश्चित करेंगे कि भारत-चीन के संबंधों का विशाल जहाज हमेशा सही दिशा में आगे बढ़ता रहे.
इस बैठक में भारत की ओर से संयुक्त सचिव (ईस्ट एशिया) नवीन श्रीवास्तव और चीन की ओर से विदेश मंत्रालय के महानिदेशक वू जिंयागहाव शामिल थे. बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि दोनों पक्ष तनाव दूर करेंगे और बॉर्डर पर मतभेद के कारणों की उचित तरीके से समीक्षा करेंगे.
इस बाबत विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दोनों देशों के नेतृत्व द्वारा मिले दिशा-निर्देशों के मुताबिक दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि मतभेदों का निपटारा शांतिपूर्ण चर्चा के जरिए किया जाए और दोनों देशों के नेतृत्व को ध्यान में ये रखना चाहिए कि वे एक दूसरे की मर्यादाओं, चिंताओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखें और इसे विवाद के रूप में तब्दील न होने दें.
चीन ने भी अपने रुख में नरमी दिखाते हुए कहा कि दोनों पक्षों में से किसी को भी एक कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जो दूसरे पक्ष के लिए ‘धमकी’ जैसा प्रतीत हो.
बता दें कि आज लद्दाख के चुसुल के विपरित चीनी नियंत्रण में स्थित मोलडो में चीन और भारत के फौजी अफसरों के बीच अब तक के सबसे बड़े स्तर पर बातचीत होने वाली है.
आज की इस बैठक में लद्दाख की सरहद पर करीब एक महीने से जारी तनातनी को कम करने की कोशिश की जाएगी. बैठक से पहले भारत ने साफ संदेश दे दिया है कि वो अपनी जमीन में घुसपैठ कतई बर्दाश्त नहीं करेगा.
चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों देश इस बात पर सहमत हुए है कि वे एक दूसरे के लिए धमकी पैदा नहीं करते हैं और गतिरोध को विवाद का रूप नहीं लेने देंगे.
चीनी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा है कि चीन और भारत ये सुनिश्चित करेंगे कि भारत-चीन के संबंधों का विशाल जहाज हमेशा सही दिशा में आगे बढ़ता रहे.
बैठक में दोनों देशों के बीच एलएसी पर तो चर्चा हुई ही, कोरोना वायरस संक्रमण समेत द्विपक्षीय महत्व के दूसरे मुद्दों पर भी बात की गई.
दोनों देशों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर भी चर्चा हुई. इस दौरान चीन ने भारत से आग्रह किया कि वो WHO को सहयोग करे. इस संगठन का राजनीतिकरण करने के पश्चिमी ताकतों की कोशिश का विरोध करे.