राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना से होने वाली मृत्यु के कारणों का अध्ययन कर विशेषज्ञ डॉक्टरों की समितियां एक-दो दिनों के दौरान रिपोर्ट पेश करने की तैयारी में हैं। इस रिपोर्ट में अस्पतालों में हो रहीं मृत्यु को रोकने के लिए सुझाव तैयार किए गए हैं। जागरण संवाददाता के मुताबिक, इसे सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने पेश की जा सकती हैं। इसके बाद सरकार अस्पतालों में मृत्यु दर शून्य करने पर काम करेगी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने 30 जुलाई को चार समितियों का गठन किया था। सभी समितियों में चार सदस्य हैं। समिति में दो सदस्य आंतरिक चिकित्सा और दो सदस्य एनेस्थीसिया के विशेषज्ञ हैं। इन चारों समितियों को दस अस्पतालों में कोरोना से हुईं मौत के कारणों का अध्ययन करने की जिम्मेदारी दी गई थी। साथ ही यह समितियां आवंटित अस्पतालों में यह भी देखेंगी कि कोविड मरीजों के इलाज में मानकों और प्रोटोकॉल का पालन किया गया या नहीं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने कोविड के कारण हुई मौतों का विस्तार से विश्लेषण किया है।
विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 1 से 12 जून की अपेक्षा 1 से 12 जुलाई की अवधि में मौत में 44 फीसद की गिरावट आई। रिपोर्ट के मुताबिक 1 से 12 जून के बीच दिल्ली में कोविड से 1089 मरीजों की मौत हुई, जबकि 1 से 12 जुलाई के बीच मात्र 605 मौत हुई।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में मौत के कारणों का विश्लेषण करने पर पाया कि जून की शुरुआत में अधिकतर लोग गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती हुए थे और उनमें से कुछ की चार दिनों के अंदर मौत हो गई, जबकि कुछ का निधन 24 घंटे के अंदर ही हो गया। 1 से 12 जून तक कुल मौत का फीसद पिछले चार दिनों में भर्ती हुए कुल मरीजों का 67 फीसद था, जबकि अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर होने वाली मौत का फीसद 34 था। अस्पतालों में अब भी कोरोना मरीजों की मौत हो रही है।