असम में 50 लाख से अधिक लाभार्थियों को मुफ्त सिलेंडर दिए गए : PM मोदी

PM मोदी : 2014 में, असम में सिर्फ 330 एलपीजी गैस वितरक थे। आज, यह 575 को पार कर गया है। उज्ज्वला योजना ने कोविड के दौरान जरूरतमंदों की मदद की। असम में 50 लाख से अधिक लाभार्थियों को मुफ्त सिलेंडर दिए गए।

आत्मविश्वास तभी बढ़ता है जब घर-परिवार में भी सुविधाएं मिलती हैं और बाहर का इंफ्रास्ट्रक्चर भी सुधरता है। बीते सालों में इन दोनों मोर्चों पर असम में अभूतपूर्व काम किया गया है।

35 लाख महिलाओं के पास उज्ज्वला गैस कनेक्शन है, जिसमें 4 लाख परिवार एससी-एसटी समूहों से संबंधित हैं। 2014 में, जब हमने सरकार का गठन किया, असम में एलपीजी कवरेज सिर्फ 40% था। आज यह लगभग 99% है।

आज असम की लगभग 40% आबादी आयुष्मान भारत से लाभान्वित हुई है। 1.5 लाख लोगों को पहले ही मुफ्त इलाज मिल चुका है।

असम ने पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व विकास कार्य देखे हैं। गरीबों के लिए लगभग 1.75 करोड़ जनधन खाते खोले गए हैं, जिससे हमें कोविड के दौरान सहायता प्रदान करने में मदद मिली।

असम और पूर्वोत्तर भारत का तेजी से विकास आत्मानिर्भर भारत का अभिन्न अंग है। असमिया लोगों के विश्वास के जरिए आत्मनिर्भर असम का रास्ता बनेगा।

जमीन का पट्टा मिलने से मूल निवासियों की लंबी मांग तो पूरी हुई ही है, इससे लाखों लोगों का जीवन स्तर बेहतर होने का रास्ता भी बना है। अब इन्हें केंद्र और राज्य सरकार की दूसरी योजनाओं का लाभ मिलना भी सुनिश्चित हुआ है।

असम की लगभग 70 छोटी-बड़ी जनजातियों को सामाजिक संरक्षण देते हुए, उनका तेज़ विकास हमारी सरकार की प्रतिबद्धता रही है। अटल जी की सरकार हो या फिर बीते कुछ सालों से केंद्र और राज्य में एनडीए की सरकार, असम की संस्कृति और स्वाभिमान की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता रही है।

असम में जब हमारी सरकार बनी तो उस समय भी यहां करीब-करीब 6 लाख मूल निवासी परिवार जिनके पास ज़मीन के कानूनी कागज नहीं थे। लेकिन सर्बानंद सोनोवाल जी के नेतृत्व में यहां की सरकार ने आपकी इस चिंता को दूर करने के लिए गंभीरता के साथ काम किया।

2019 में, सरकार द्वारा बनाई गई नई भूमि नीति अपने सही मालिकों को भूमि देने के लिए अपना समर्पण दिखाती है। पिछले कुछ वर्षों में, 2.25 लाख से अधिक मूल परिवारों को जमीन का पट्टा दिया गया है।

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