नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि संविधान की प्रस्तावना एकता और अखंडता के साथ-साथ व्यक्ति की गरिमा का आश्वासन देती है लेकिन आरएसएस का एकीकरण (एकता) संविधान से अलग है.
ओवैसी ने कहा, आरएसएस के लिए भावनात्मक एकीकरण का अर्थ है असम के बंगाली हिंदू नागरिक होंगे जबकि मुसलमान उस दायरे से बाहर होगा. धर्म के आधार पर नागरिकता कानून बनेगा और अल्पसंख्यक को दीमक समझा जाएगा.
दरअसल, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि संविधान हमेशा भावनात्मक तौर पर लोगों को जोड़ने (एकीकरण) की बात करता है लेकिन जानना जरूरी है कि यह भावना (इमोशन) क्या है? भावना का अर्थ है-यह देश हम सभी लोगों का है, हम महान पूर्वजों के वंशज हैं और हमें सभी भिन्नताओं के बावजूद एक साथ रहना है. हम इसे ही हिंदुत्व कहते हैं.
मोहन भागवत के इस बयान पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा- संविधान ऐसा कुछ नहीं कहता. संविधान में निहित प्रस्तावना एकता और अखंडता के अलावा हर व्यक्ति की मर्यादा को भी सुनिश्चित करती है.
असम के बंगाली हिंदुओं को नागरिक बनाना और मुस्लिमों को नहीं, मजहब के आधार पर नागरिकता देना और मुसलमानों को दीमक कहना आरएसएस के भावनात्मक एकता की परिभाषा है.