चालू वित्त वर्ष 2020-21 का छठा महीना सितंबर अर्थव्यवस्था के लिए शुभ साबित होने जा रहा है। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के बाद पिछले 15 दिनों में पहली बार अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में तेजी देखने को मिल रही है। कोरोना महामारी की वजह से पिछले पांच महीने से नकारात्मक बढ़ोत्तरी लेने वाले निर्यात में सितंबर के पहले 15 दिनों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। औद्योगिक उत्पादन के लिए सबसे जरूरी चीज बिजली के उत्पादन में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोत्तरी हुई है। अर्थव्यवस्था को खोलने के सरकारी फैसले से लोगों की आवाजाही में बढ़ोत्तरी होने से पेट्रोल की खपत भी बढ़ गई।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के मुताबिक इस साल सितंबर के पहले सात दिनों (1-7) में 6.12 अरब डॉलर का निर्यात किया गया जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 13.35 फीसद अधिक है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 8-14 सितंबर के दौरान 6.88 अरब डॉलर का निर्यात किया गया जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 10.73 फीसद अधिक है। इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त तक हर महीने के निर्यात में पिछले साल के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई।
सरकारी कंपनी पावर सिस्टम ऑपरेशन कारपोरेशन लिमिटेड (पोस्को) के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर माह के पहले 15 दिनों में बिजली के उत्पादन में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 1.6 फीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इस साल अप्रैल-अगस्त के दौरान बिजली का उत्पादन स्तर पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले नीचे रहा। सबसे बड़ी बात है कि देश के दो प्रमुख औद्योगिक राज्य गुजरात और महाराष्ट्र में सितंबर के पहले 15 दिनों के दौरान बिजली की खपत में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले क्रमश: 6.2 और 4.3 फीसद की बढ़ोत्तरी रही। औद्योगिक रूप से समृद्ध होने के कारण ये दोनों राज्य देश के लगभग 20 फीसद बिजली की खपत करते हैं।
अगस्त महीने में देश के लगभग सभी राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया पूरी होने से बिजली की मांग निकलने से उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है। बिजली के उत्पादन में तेजी से कोयले के उत्पादन में भी तेजी आएगी। अर्थव्यवस्था के अनलॉक होने से पेट्रोल की खपत में सितंबर के पहले 15 दिनों के दौरान पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2 फीसद की बढ़ोत्तरी रही। पेट्रोलियम कंपनी के मुताबिक अगस्त के पहले 15 दिनों के मुकाबले पेट्रोल की खपत में 7 फीसद का इजाफा रहा। हालांकि सितंबर के पहले 15 दिनों में डीजल की खपत में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 5.5 फीसद की गिरावट रही।
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