रूस और चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर अमेरिका ने भी हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने की कवायद शुरू कर दी है। मौजूदा दौर में अमेरिका के रूस के साथ संबंध बेहद निचले स्तर पर आ चुके हैं। वहीं चीन से भी लगातार दक्षिण चीन सागर को लेकर उसको धमकी दी जाती रही है। इसके मद्देनजर अमेरिकी वायुसेना इसके विकास पर करीब एक बिलियन डॉलर खर्च कर रही है। इसके लिए लॉकहिड मार्टिन को करीब 928 मिलियन डॉलर का कांट्रेक्ट भी दिया गया है। यह मिसाइल आवाज की गति से भी तेज चलने में सक्षम होती है। हाईपरसोनिक कंवेंशनल स्ट्राइक वैपन प्रोग्राम की दिशा में यह बड़ा कदम है। अमेरिका इसके अलावा टेक्टिकल बूस्ट ग्लाइड प्राग्राम भी तैयार कर रहा है। यह डापरा की मदद से तैयार किया जा रहा है। यह दोनों ही एक एडवांस प्रोटोटाइप विकसित करने में लगे हैं जिन्हें अमेरिकी जेट के जरिए छोड़ा जा सकेगा। आपको बता दें कि भविष्य में हाइपरसोनिक मिसाइल जंग का रुख बदलने में काफी अहम भूमिका निभाएंगी।
इसके सामने बेकार हैं मिसाइल डिफेंस सिस्टम
अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट के अधिकारी इस बात को सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि हाइपरसोनिक हथियार यूएस के मिसाइल सिस्टम को नाकाम करते हुए हमला करने में सक्षम हैं। इसका सीधा अर्थ है कि हाइपरसोनिक मिसाइल के जरिये अमेरिका अपने ऊपर होने वाले किसी भी न्यूक्लियर अटैक को नाकाम करने की योजना पर काम कर रहा है। आपको बता दें कि आवाज की गति से भी तेज या फिर 5 मैक से तेज उड़ने वाली मिसाइल को हाइपरसोनिक मिसाइल की कैटेगिरी में शामिल किया जाता है। यह मिसाइल किसी भी मिसाइल सिस्टम को ध्वस्त कर सकती है। पेंटागन रिसर्च एंड डेवलेपमेंट के हैड माइकल ग्रिफिन मानते हैं कि इस तरह की मिसाइल बनाने की काबलियत चीन और रूस दोनों के ही पास है, इस लिहाज से अमेरिका को खतरा बढ़ गया है। उन्होंने हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास को पहली प्राथमिकता बताया है। उनका कहना है कि इस तरह के खतरे को भांपते हुए यह भी जरूरी है कि हमारे पास ऐसी तकनीक और मिसाइलें हों जिन्हें हम बेहद कम समय में लड़ाकू विमानों से दाग कर हमला नाकाम कर सकें।
अमेरिकी परीक्षण नाकाम
यहां पर आपको बता दें कि अमेरिका ने इस वर्ष फरवरी में एक हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था, लेकिन वह असफल रहा था। लॉन्च के करीब चार सैकेंड बाद ही इसके सिस्टम में गड़बड़ी के चलते इसको नष्ट कर दिया गया था। यह मिसाइल 3500 मील प्रति घंटे की गति से जा सकती थी और आधा घंटे में ही दुनिया के किसी भी हिस्से में अपने लक्ष्य पर निशाना लगा सकती थी। इसकी जानकारी देते हुए पेंटागन ने माना था कि इसमें तकनीकी खराबी के बाद इसका नियंत्रण कंट्रोल से बाहर जा सकता था, लिहाजा इसको नष्ट कर दिया गया। यह मिसाइल दो फरवरी को अलास्का के कोडिएक लॉन्च सेंटर से लॉन्च की गई थी। एडवांस्ड हाइपरसोनिक हथियार का निर्माण सांडिया नेशनल लेबोरेट्री और सेना ने तीन चरणों में किया था। इस परीक्षण के असफल होने से अमेरिकी कार्यक्रम को तगड़ा झटका लगा था।