ब्रिटेन के बाद अमेरिका में भी अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मन फार्मा कंपनी बायोएनटेक द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत मिल गई है. अमेरिका में कोरोना का कहर दुनियाभर में सबसे ज्यादा देखने को मिला है. जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़े के अनुसार अमेरिका 15.5 मिलियन लोग कोरोना की चपेट में आए हैं और यहां इस बीमारी से लगभग 2 लाख 92 हजार लोगों ने जान गंवाई है.

इसके साथ ही अमेरिकी सरकार ने वैक्सीन बनाने वाली एक अन्य कंपनी मॉर्डना से कोरोना के 100 मिलियन कोरोना वैक्सीन खरीदने का फैसला किया है.
शुक्रवार को अमेरिकी सरकार की एक सलाहकार समिति ने फाइजर के वैक्सीन की इमरजेंसी इस्तेमाल इजाजत की अनुमति दे दी.
इस मुद्दे पर अमेरिका में आठ घंटे तक लंबी बहस चली. इस दौरान FDA की सलाहकार समिति के सदस्यों ने 4 के मुकाबले 17 वोटों से वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी. एक सदस्य मतदान प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ.
हालांकि फाइजर के वैक्सीन को अभी मिली इजाजत अंतरिम है. कंपनी को अमेरिका में वैक्सीन को नियमित रूप से बेचने के लिए एक बार और आवेदन करनी होगी.
एक एक्सपर्ट ने कहा कि अभी इस वैक्सीन से जितने लाभ हैं, वो इससे अभी होने वाले संभावित खतरों से ज्यादा हैं, इसलिए वैक्सीन को इस्तेमाल की इजाजत दे दी गई है.
बता दें कि फाइजर के इस वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए पहले ही ब्रिटेन, कनाडा, बहरीन और सऊदी अरब में इजाजत मिल चुकी है. भारत में भी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मांगी गई है.
अमेरिका में फाइजर के वैक्सीन की इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत तब मिली है, जब यहां पिछले 24 घंटे में 3000 लोगों की कोरोना से मौत हुई है. ये आंकड़ा दुनिया भर में सबसे ज्यादा है.
फाइजर के वैक्सीन को इस्तेमाल की इजाजत मिलने के बाद अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि ये घटनाक्रम अंधेरे वक्त में एक रोशनी की तरह है. हम वैज्ञानिकों, रिसर्चरों के आभारी हैं. अमेरिका के सामने अब वैक्सीन के निर्माण और इसके वितरण की चुनौती है.
माना जा रहा है कि अमेरिका ने अपना वैक्सीन स्टॉक बढ़ाने के लिए मॉडर्ना से 100 मिलियन वैक्सीन डोज खरीदने का फैसला किया है.
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