एयरो इंडिया में अमेरिका की तरफ से भारतीय वायुसेना (आईएएफ) को तीन फ्रंटलाइन फाइटर जेट्स की पेशकश की है. अमेरिका ने भारत को एफ-18, एफ-15 और एफ-21 देने का प्रस्ताव रखा है. एफ-21, एफ-16 का ही नया वर्जन है.
मीडिया ब्रीफिंग के दौरान अमेरिका चार्ज डी अफेयर्स डॉन हेलफिल्न, यूएस एयरफोर्स के डिप्टी अंडरसेक्रेटरी केली सेईबोल्ट और लेफ्टिनेंट जनरल डेविड क्रूम मौजूद थे. इस दौरान इनकी तरफ से एक ही संदेश दिया गया जो कि स्पष्ट था. वह संदेश था कि भारत, अमेरिका का एक बड़ा डिफेंस पार्टनर है और दोनों देशों को साथ में मिलकर काम करना होगा.
अमेरिकी अधिकारियों ने साफ कर दिया था कि एशिया प्रशांत क्षेत्र को मजबूत करने के लिए भारत और अमेरिका का साथ रहना जरूरी है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि किस देश में कौन सा दल सत्ता में है.
अमेरिका की तरफ से भारत को पिछले वर्ष एफ-18 सुपर हॉर्नेट की पेशकश की गई थी. अमेरिकी सरकार की तरफ से इंडियन नेवी के लिए इस जेट के अलावा ड्रोन सी गार्डियन की पेशकश भी भारत को की गई थी. भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के बेड़े में राफेल जैसा फाइटर जेट अब शामिल हो गया है. इस जेट के अलावा वायुसेना फिलहाल 114 मीडियम फाइटर जेट्स की खरीद को आगे बढ़ा रही है.
इस बीच अमेरिका में बाइडेन प्रशासन की तरफ से एयरक्राफ्ट बनाने वाली बोइंग को भारत में इसके निर्मित फाइटर जेट एफ-15EX की ब्रिकी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस रेस में फिलहाल 7 फाइटर जेट्स की कंपनियां शामिल हैं और बताया जा रहा है कि यह कॉन्ट्रैक्ट 20 से 30 बिलियन डॉलर का होने वाला है.
इंडियन नेवी को सुपर हॉर्नेट की पेशकश की जाएगी. नेवी की तरफ से भी एयरक्राफ्ट कैरियर्स के लिए 57 फाइटर्स की खरीद योजना को आगे बढ़ाया जाएगा. अमेरिकी मिलिट्री सुपर हॉर्नेट को सिर्फ नेवी के लिए इस्तेमाल करती है और ये जेट्स एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर तैनात हैं. हालांकि बोइंग ने सुपर हॉर्नेट जेट को ऑस्ट्रेलिया को F/A-18E/F फाइटर्स का लैंड बेस्ड वर्जन बेचा है.
इन सबसे अलग पिछले वर्ष लॉकहीड मार्टिन ने भारत को एफ-21 का प्रस्ताव दिया था. लॉकहीड मार्टिन सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट है. यह जेट पाकिस्तान के पास मौजूद एफ-16 का ही एडवांस्ड वर्जन है. लॉकहीड मार्टिन ने कहा था कि अगर भारतीय वायुसेना इस एयरक्राफ्ट का ऑफर स्वीकार कर लेती है तो फिर कंपनी किसी और देश को यह जेट नहीं बेचेगी.
कंपनी ने 100 से ज्यादा एयरक्राफ्ट के लिए पेशकश की थी और प्रस्ताव अभी तक वेटिंग लिस्ट में है. एयरो इंडिया में दुनिया भर से 78 कंपनियां आई हैं और कुल 600 कंपनियां इसमें शामिल हो रही हैं. रक्षा मंत्री की मानें तो सरकार का मकसद देश को डिफेंस सेक्टर में दुनिया के सबसे बड़े देशों में शामिल करना है.