अमेरिका एशिया में अपनी इंटरमीडिएट-रेंज की नई मिसाइलों को जल्द से जल्द तैनात करना चाहता है। अमेरिका की तरफ से यह कदम क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए उठाया जा रहा है। शनिवार को इसका एलान अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने किया।

एस्पर ने कहा, हां हम एशिया में अपनी मिसाइलें तैनात करना चाहते हैं, यह जवाब उन्होंने तब दिया जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका एशिया में मध्यम-दूरी की अपनी नई मिसाइलों को तैनात करने की योजना बना रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा, अमेरिका अब इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (आइएनएफ) संधि से बंधा हुआ नहीं है।
हम देर-सबेर मिसाइलें तैनात करना चाहेंगे। इसमें कई माह लगेंगे, क्योंकि ये चीजें अधिक समय लेती हैं। उन्होंने यह नहीं बताया कि अमेरिका ये मिसाइलें कहां तैनात करेगा। उन्होंने कहा, मैं इस पर ज्यादा नहीं बोलूंगा, क्योंकि यह सब योजना और अपने सहयोगियों से बातचीत पर निर्भर होगा।
संधि टूटने के बाद बदली रणनीति
अमेरिका शुक्रवार को आइएनएफ संधि से अलग हो गया। उसने रूस पर इस संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया। दोनों देशों के बीच 1987 में यह संधि हुई थी। इस पर तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव ने हस्ताक्षर किए थे। संधि के तहत दोनों देश इस बात पर राजी हुए थे कि वे पारंपरिक और परमाणु लैस मीडियम-रेंज मिसाइलों को सीमित करेंगे। अमेरिका और रूस के बीच बढ़ी कड़वाहट से यह संधि टूट गई।
चीन से मुकाबला करने को स्वतंत्र
अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा, संधि से अलग होने के बाद अमेरिका अब चीन से मुकाबला करने को स्वतंत्र है। चीन के पास ज्यादातर मिसाइलें ऐसी हैं जो संधि के तहत प्रतिबंधित थीं। चीन ने उस संधि पर हस्ताक्षर भी नहीं किए। उन्होंने कहा कि चीन को हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अमेरिका कुछ समय से इसपर विचार कर रहा है। एस्पर ने कहा, मैं यह बताना चाहता हूं कि उनके 80 फीसद मिसाइल अन्वेषण आइएनएफ रेंज सिस्टम के हैं, इसलिए उन्हें हैरान नहीं होना चाहिए, क्योंकि हम भी ऐसी क्षमता चाहते हैं।
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