पणजी। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर कथित तौर पर बड़ी मुश्किल से अपनी सरकार को तख्तापलट होने से बचा पाए हैं। कांग्रेस ने पर्रिकर सरकार को गिराने की कोशिश के तहत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल सहयोगी दलों से नए सिरे से संपर्क साधा है। यह सबकुछ दिग्विजय सिंह के केंद्रीय पर्यवेक्षक के पद से हटाए जाने के बाद हो रहा है।
जहां गोवा फॉरवर्ड और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी एमजीपी ने तख्तापलट की खबर को खारिज कर दिया है और भाजपा ने शनिवार को दावा किया कि सरकार स्थिर है, वहीं ऐसा लगता है कि गोवा की राजनीति एक बार फिर अपने 1990-2000 के दशक के दौर को दोहराने वाली है, जिस दौरान राज्य में 14 मुख्यमंत्री बने थे।
38 सदस्यीय गोवा विधानसभा में गोवा फॉरवर्ड और एमजीपी के तीन-तीन विधायक हैं। भाजपा और कांग्रेस के एक-एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया है।
ताजा घटनाक्रम का अंत हालांकि कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष और विधायक लुइजिन्हो फलेरियो को झटके के साथ हुआ।
फलेरियो के नेतृत्व को कांग्रेस विधायकों के एक वर्ग ने एक बार फिर चुनौती दे दी है।
कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि उन्होंने गोवा फॉरवर्ड के संस्थापक सदस्य और मौजूदा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग मंत्री विजय सरदेसाई और दो निर्दलीय विधायकों से फिर से संपर्क साधा है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने की उनकी शर्त बिल्कुल वही है, जो मार्च में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने से पहले थी। वह चाहते हैं कि फलेरियो को निर्णय प्रक्रिया से अलग रखा जाए। वह चाहते हैं कि हमारे विधायक दिगंबर कामत (पूर्व मुख्यमंत्री) बातचीत के प्रभारी और गठबंधन के नेता हों।”
पार्टी पदाधिकारी ने यह भी कहा कि ए. चेल्लाकुमार को गोवा का प्रभारी महासचिव बनाए जाने के बाद भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को गिराने के प्रयास तेज हो गए हैं।
इसके पहले वह दिग्विजय सिंह के अधीन थे, जिन्हें कुछ सप्ताह पहले पद से हटा दिया गया।
दो बार मुख्यमंत्री रह चुके फलेरियो ने चार फरवरी को हुए चुनाव में कांग्रेस के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया था। लेकिन सरदेसाई के साथ उनके मनमुटाव के कारण 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में 17 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी थी।
कांग्रेस विधायकों की वफादारी कामत और फलेरियो के बीच बंटी हुई है, हालांकि कांग्रेस ने औपचारिक तौर पर इस तरह के मतभेद से इनकार किया है, और फलेरियो ने यहां तक कि पार्टी की सेहत के लिए अपना पद भी छोड़ने की पेशकश की है।
फलेरियो ने कहा, “मैं पार्टी के लिए कोई भी पद छोड़ने को तैयार हूं..यदि कोई एक विधायक भी महसूस करता है कि हम सरकार बना सकते हैं और उसमें मेरा इस्तीफा मददगार होगा तो इसे किया जाए और मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं।”
कांग्रेस विधायक विश्वजीत राणे के 13 मार्च को इस्तीफा देकर पर्रिकर मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद कांग्रेस को सामान्य बहुमत के लिए पांच विधायकों की जरूरत है, और गोवा फॉरवर्ड के तीन विधायकों व दो निर्दलियों के समर्थन से यह संख्या पूरी हो सकती है।
लेकिन सरदेसाई अब कहते हैं कि भाजपा और पर्रिकर को उनका समर्थन असंदिग्ध है और वह पर्रिकर को कभी धोखा नहीं देंगे।
उन्होंने कहा, “पर्रिकर ने हमारे कहने पर दिल्ली में अपना मंत्रालय छोड़ दिया। मैं उन्हें कभी नहीं छोड़ूंगा। यह सरकार स्थिर है और अपना कार्यकाल पूरा करेगी।”
भाजपा ने भी किसी तख्तापलट की खबर का खंडन किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विनय तेंदुलकर ने कहा है कि वास्तव में कांग्रेस संकट में है।
तेंदुलकर ने आईएएनएस से कहा, “यह सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।”
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस ने क्या सत्ताधारी गठबंधन सहयोगियों को तोड़ने की कोशिश की? उन्होंने कहा, “कांग्रेस के 10 विधायक हमारे संपर्क में हैं। वे भाजपा में शामिल होने के इच्छुक हैं।”