केंद्र सरकार ने राज्य को 24 ड्रोन दे दिए हैं। इससे चीन सीमा क्षेत्र तथा अन्य संवेदनशील जगहों की निगहबानी और बेहतर तरीके से हो सकेगी। वहीं, बॉर्डर तक सड़क निर्माण से जुड़ी अड़चन को दूर करने के लिए केंद्र सरकार से विशेष अनुमति मांगी गई है। राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस बाबत भी जल्द अनुमति मिल जाएगी। उत्तराखंड से सटी चीन सीमा लंबे समय से संवेदनशील रही है। ऐसे में राज्य सरकार ने केंद्र से साइबर सुरक्षा बढ़ाने और जासूसी सेवाओं को बेहतर करने के लिए मदद मांगी थी।
इस संबंध में नेशनल ट्रेनिंग रिसर्च आर्गेनाइजेशन (एनटीआरओ) के बीच कई चरणों की वार्ता हुई। अब एनटीआरओ ने राज्य सरकार को 24 ड्रोन दे दिए हैं। ये ड्रोन संवेदनशील जगहों पर तैनात किए जाएंगे।
ड्रोनों के संचालन, उनकी मेंटेनेंस के अलावा ड्रोनों द्वारा लाई गई सूचनाओं को चेक करने और संबंधित जगह तक पहुंचाने के लिए स्टाफ को ट्रेनिंग देने पर भी सहमति बनी है।
आईटीडी में एक खास लैब विकसित की जा रही है
इसी के तहत इंफॉर्मेशन टेक्नालॉजी डेवलपमेंट (आईटीडी) में एक खास लैब विकसित की जा रही है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार ड्रोन का इस्तेमाल कांवड़, कुंभ मेले से लेकर चारधाम यात्रा आदि जगहों पर भी किया जा सकता है। इसके अलावा, मुश्किल वक्त में ड्रोन के जरिए बेहतर ढंग से रेस्क्यू ऑपरेशन भी चलाया जा सकेगा।
चीन सीमा तक बोफोर्स तोप को पहुंचाने में सड़क की चौड़ाई बाधक बन रही है। उत्तरकाशी जिले में भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के चलते वन भूमि हस्तांतरण नहीं हो पा रहा है। राज्य सरकार भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के लिए एक खास मैनेजमेंट प्लान भी तैयार कर रही है। इसी के मद्देनजर राज्य सरकार ने केंद्र को एक पत्र भेजा है।
इसमें तमाम चुनौतियों का जिक्र करते हुए भागीरथी इको सेंसिटिव जोन वाले क्षेत्र में केवल सड़क निर्माण में छूट देने का अनुरोध किया गया है। इस मामले में दिल्ली में भी अफसरों ने पैरवी की है। विभाग को उम्मीद है कि जल्द ही सड़क निर्माण में छूट मिल सकती है। आईटीडीए निदेशक अमित सिन्हा के अनुसार एनटीआरओ के सहयोग से विशिष्ट योजनाओं पर काम किया जा रहा है। इससे राज्य की सुरक्षा और मजबूत होगी।