केदारनाथ यात्रा के प्रमुख पड़ाव सोनप्रयाग में बैरियर पर तैनात कॉन्स्टेबल मोहन सिंह ने जिलाधिकारी को चेतावनी दे डाली कि वो उन्हें बंद कर देगा। डीएम बार बार कॉन्स्टेबल को प्रलोभन दे रहे थे, लेकिन उसके बाद भी उसने जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के निजी वाहन को गौरीकुंड ले जाने की अनुमति नहीं दी। जब जिलाधिकारी फिर उससे अनुरोध करने और प्रलोभन देने लगे तो मोहन सिंह ने दे डाली कि वह उन्हें बंद कर देगा। सोनप्रयाग थाने में तैनात कांस्टेबल की इस कर्तव्यपरायणता से जिलाधिकारी बेहद प्रभावित हुए और उसे स्वयं सम्मानित करने का निर्णय लिया।
जिलाधिकारी वेश बदलकर आम यात्री की तरह गौरीकुंड समेत विभिन्न पड़ाव स्थलों के निरीक्षण पर निकले थे। इस बीच रात बारह बजे जब वह निजी वाहन से सोनप्रयाग पुलिस बैरियर के पास पहुंचे तो वहां तैनात कॉन्स्टेबल मोहन सिंह ने उन्हें रोक दिया। कॉन्स्टेबल ने कहा कि आगे निजी वाहन ले जाने की अनुमति नहीं है, लिहाजा उन्हें अपना वाहन वहीं छोड़ना होगा।
जिलाधिकारी ने सिपाही मोहन सिंह से काफी अनुरोध किया, यहां तक कि 200 रुपये सुविधा शुल्क देने का प्रयास भी किया। लेकिन मोहन सिंह नियम-कायदों पर अड़ा रहा और चेतावनी दी कि रिश्वत देने के अपराध में वह उन्हें बंद करा देगा। जिलाधिकारी ने कहा कि यात्रा पड़ावों पर यात्रियों का भारी दबाव है। बावजूद इसके कई अधिकारी और कर्मचारी पूरी निष्ठा से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। कॉन्स्टेबल मोहन सिंह ने भी अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है, इसलिए ऐसे पुलिस कर्मी को सम्मान पाने का पूरा हक है।
उन्होंने कहा कि मोहन सिंह की कर्तव्यपरायणता को देखते हुए वह स्वयं उसे नकद धनराशि और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करेंगे। उधर, कॉन्स्टेबल मोहन सिंह ने बताया कि वह पूरी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभा रहा है। जिससे यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी न हो। हालांकि, यात्रा मार्ग पर यात्रियों की भारी भीड़ है, फिर भी कोशिश की जा रही है कि व्यवस्थाएं दुरुस्त रहें। कहा कि बैरियर पर डीएम साहब को रोककर उसने अपना फर्ज निभाया है। उसे इस बात का कतई इल्म नहीं था कि वह डीएम साहब को रोक रहा है।