दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए पराली बहुत बड़ी समस्या है। इसकी वजह से प्रदूषण में इजाफा हो रहा है। दीवाली के बाद लोग पराली जलने से वातावरण में स्मॉग की चादर छाई रहती है।
पिछले दिनों एनसीआर के कई शहर प्रदूषण के मामले में देश के टॉप शहरों में शुमार रहे, लेकिन आयशर स्कूल की दो छात्राओं ने पराली जलने से होने वाले प्रदूषण को रोकने का तरीका ढूंढ निकाला है। उन्होंने पराली का कुछ इस तरह उपयोग किया है कि प्रेरणा लेकर किसान फसल के अलावा उसके अवशेष से भी आय प्राप्त कर सकते हैं।
आठवीं कक्षा की छात्रा धृति और नंदिनी ने पराली से कागज तैयार करने का तरीका ईजाद किया है। इस कागज पर आप न केवल लिख-पढ़ सकते हैं, बल्कि निमंत्रण कार्ड के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट को बनाने में विद्यालय की जीव विज्ञान की अध्यापिका भारती गुप्ता ने उनकी मदद की है।
अध्यापिका भारती गुप्ता कहती हैं कि पराली से कागज बनाने का आइडिया गोबर से आया। एक दिन वह घर पर टीवी देख रही थीं। इस दौरान गोबर से बनी विभिन्न वस्तुओं के बारे में दिखाया जा रहा था और उन दिनों प्रदूषण का स्तर भी बहुत था। उसके बाद से ही कुछ करने का विचार किया।
सर्वप्रथम पराली को गीला करके मुलायम किया जाता है। उसके बाद बारीक होने तक मिक्सी में ग्राइंड करने के बाद इसमें थोड़ा ग्लू मिलाया जाता है। फिर छलनी में डालकर समतल किया जाता है और सूखने के लिए रख दिया जाता है। सूखने के बाद कागज बनकर तैयार हो जाता है।