हिंदू धर्म में विवाह को महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। पत्नी को गृहलक्ष्मी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार स्त्री के गृहस्थी चलाने के तरीके पर निर्भर करता है की उनके घर में महालक्ष्मी का वास होगा या नहीं। शादी के बाद पति-पत्नी दो नहीं बल्कि एक होते हैं। उनके द्वारा किए हर काम का शुभ-अशुभ प्रभाव एक-दूसरे पर पड़ता है। घर की महिला का अधिकतर समय किचन में बीतता है। रसोई और खाना पकाने संबंधित कुछ हिदायतों का पालन करने से मिलेगा लक्ष्मी का आशीर्वाद और कुबेर का दुलार।
स्नान करने के बाद रसोई में जाएं, बिना नहाए न तो भोजन बनाएं और न ही खाएं।
वास्तु के अनुसार, उत्तर, दक्षिण और पश्चिम दिशा में मुंह करके खाना नहीं बनाना चाहिए। पूर्व दिशा सबसे उत्तम है, खाना पकाने वाले का मुंह हमेशा इसी दिशा में रहना चाहिए।
रसोई में एक खिड़की पूर्व दिशा की ओर होने से सकारात्मक ऊर्जा का सीधा प्रवेश घर में होता है।
घर में बनने वाली पहली रोटी गाय को खिलाएं, इससे जीवन में आने वाली हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
वॉशरूम और रसोई आमने-सामने नहीं होने चाहिए। यदि ऐसा है तो वॉशरूम के दरवाजे पर पर्दा लगा लें।
जो पत्नी ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर पति के लिए श्रृंगार करती है। ईश पूजन करने के उपरांत सुचारू रूप से घर गृहस्थी के काम करती है, बड़ों से सम्मान और छोटो से प्यार, घर आए अतिथियों का उचित सम्मान करना, आय के अनुसार गृहस्थी चलाना आदि कार्यों में दक्ष होती है ऐसी पत्नी अपने पति से भरपूर प्यार पाती है।
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