अच्छे दिनों की बाट जोह रहा है मायावती का पैतृक गांव, 2012 तक खूब हुआ था यहां का विकास

सात साल पहले गौतमबुद्धनगर जिले का बादलपुर वीवीआइपी गांव था। तत्कालीन सीएम और बसपा सुप्रीमो मायावती का पैतृक गांव होने की वजह से विकास की ऐसी कोई योजना नहीं रही, जिसमें बादलपुर का नाम पहले पायदान पर न रहा हो। पर अब हालात बदल चुके हैं। योजनाएं ठप हैं और ग्रामीणों को गांव की अनदेखी का दर्द साल रहा है।

टूट गईं स्ट्रीट लाइटें, सड़कों पर जलभराव
बादलपुर गांव में प्रवेश करते ही यहां की बदहाली अपनी हकीकत बयां करने लगती है। एक समय जहां सड़कों नालियों के किनारे जहां सुबह-सुबह चूना डाला जाता था। आज वहां की हकीकत बदल चुकी है। गांव की नालियां जाम, सड़कों पर जलभराव हो चुका है। रात दिन जगमगाने वाले गांव की स्ट्रीट लाइट वषों से खराब हैं।

ग्रामीण अशोक नागर ने बताया कि बहनजी की सत्ता थी तो अधिकारियों का तांता लगा रहता था, उनके सत्ता से बाहर होते ही गांव की अनदेखी की जाने लगी।

ग्राम प्रधान विजयपाल नागर के भाई अशोक ने बताया कि मायावती को प्रधानमंत्री बनते देखने की उनकी प्रबल इच्छा है। बादलपुर में बने गौतमबुद्ध पार्क के समीप रहने वाले छोटे प्रजापति ने मायावती का जिक्र करते हुए कहा कि बहनजी ने मुख्यमंत्री रहते हुए अपने गांव का हमेशा ख्याल रखा। यदि वह प्रधानमंत्री बन गईं तो पूरे प्रदेश का खयाल रखेंगी। छोटे ने बताया कि मायावती ने मुख्यमंत्री रहते गांव में पशु चिकित्सालय खुलवाया था। आज पशु चिकित्सालय में गंदगी पसरी है।

करोड़ों रुपये की लागत से बने पार्कों की दीवार के पत्थर उखड़ने लगे हैं। खराब हाइमास्ट लाइट गांव की बदहाली की कहानी बयां करने को काफी हैं। हालांकि, ग्रामीणों का एक तबका पैसे की बर्बादी करने का भी आरोप लगाता है, लेकिन सभी मायावती को प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में एकजुटता से खड़े नजर आए।

पशु चिकित्सालय में मिले मायावती के चचेरे भाई राजपाल सिंह ने बीते दिनों को याद करते हुए बताया कि जब मायावती मुख्यमंत्री ही नहीं अधिकारी यहीं पड़ाव गेरे रहवे हे, सत्ता सु कहा उतरी अधिकारिन ने आना-जाना ही छोड़ दिया। बादलपुर गांव के निवासी एक अदद बारातघर की मांग करते-करते थक चुके हैं।

किसानों को नहीं मिला जमीन का अतिरिक्त मुआवजा
गांव के किसानों से जमीन ले ली गई, लेकिन आज तक 64 फीसद मुआवजा नहीं मिला। दस फीसद आबादी भूखंड भी ग्रामीणों को नहीं मिला। गांव में बेरोजगारी आज सबसे बड़ी समस्या है। 20 वर्षीय किशोर आकाश ने कहा कि अगर मायावती गांव में दो-दो पार्क बनाने के बजाए बच्चों के खेलने के लिए मैदान और युवाओं को रोजगार के लिए उद्योग लगाए होते तो गांव को अधिक फायदा मिलता। गांव के पप्पू ठेकेदार ने कहा कि बहनजी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वह पूरी कोशिश में लगे हुए हैं।

परवान नहीं चढ़ सकी योजना
गांव में युवाओं को रोजगार के लिए क्षेत्रीय मत्स्य बीज उत्पादन एवं प्रशिक्षण केंद्र खोलने के लिए हुए भवन निर्माण, विशालकाय तालाब भी आज अस्तित्व खोते जा रहे हैं। इनमें तैनात कर्मचारी हाथ पर हाथ धरे बैठकर हर माह हजारों रुपये वेतन ले रहे हैं। गांव की जिन नालियों के जरिए पानी तालाब तक पहुंचना था, वो आज जाम है, सड़क तालाब बन चुकी हैं।

बृजपाल ने बताया कि मत्स्य पालन केंद्र खुलने से तमाम लाभ मिलते लेकिन बहनजी की सरकार न होने से सब कुछ बदल गया। गांव की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बृजपाल ने बताया कि पहले गांव में 24 घंटे बिजली थी, आज कई-कई घंटे बिजली गुल रहती है।

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