सेक्स एक गोपनीय वस्तु है, जिसका प्रयोग विवाह-संस्कार के बाद ही अपने जीवन साथी के साथ किया जाना चाहिए। आज समाज ने सेक्स को मात्र एक मनोरंजन की वस्तु मान लिया है और सेक्स का भी उपभोग प्रारंभ हो गया।
मंगलसूत्र का महत्व, महिलाओं की राय:
सेक्स की आपूर्ति शरीर के लिए उतना ही आवश्यक है, जितना कि भोजन। अठारह वर्ष की अवस्था के बाद लड़की का शरीर भी सेक्स की आपूर्ति चाहता है। अगर मन के अनुरूप शरीर की इस इच्छा की पूर्ति भी अगर कर ली जाये तो इसमें बुराई क्या है। इसमें मंगलसूत्र का होना जरुरी नही है।
‘जब प्यास लगे, पानी पी लेना चाहिए। हां, यह देखना उचित है कि वह पानी नल का है या नाले का? प्यासा रहकर समय बिताते रहना क्या बुद्धिमानी है? एक खूंटे में बंधी रहने वाली भैंस की पूरी दुनिया खूंटे तक ही सीमित रहती है। इसलिए ‘मंगलसूत्र’ की जंजीर में बंधकर रहना उचित नहीं है।
पति के खूंटे में बंधकर रहने वाली नारी ‘सेक्स’ को क्या जान सकती है? जिस प्रकार फैशन के अनुसार नये-नये डिजाइनों के कपड़ों को पहनकर लोग अपनी शोभा बढ़ाते हैं, उसी प्रकार सेक्स का अनुभव विवाह पूर्व करना कतई बुरा नहीं है।
सेक्स से एक लड़की को इससे वंचित रखकर उससे बहुत बड़ा सुख छीन लिया जाता है। मैंने उस समय से कितने पुरूषों से सेक्स संबंध बनाया है, इसका हिसाब मुझे भी नहीं है। मैं ‘मंगलसूत्र’ को महत्त्व नहीं देती क्योंकि वह लड़कियों के लिए कठोरतम सजा है।
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सच्चाई छुपती नही:
‘मंगलसूत्र’ महिला के गले में झूलकर एक पवित्रता को बताने का कार्य करता है। पथ पर चलकर ही राहगीर अपने गन्तव्य तक पहुंच सकता है। अनेक पथों पर चलने की विचारधारा वाला राहगीर ‘मृगतृष्णा’ की तरह ही भटककर दम तोड़ देता है।