मंगलवार को राजस्थान के अलवर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि भगवान हनुमान वनवासी, वंचित और दलित थे। बजरंग बली ने भारत के सभी समुदायों को जोड़ने का काम किया था। इस पर राजस्थान की एक दक्षिणपंथी संस्था ने योगी आदित्यनाथ को कानूनी नोटिस भी भेजा है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से भगवान हनुमान को दलित बताए जाने के बाद शुरू विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस विवाद में योग गुरु रामदेव भी कूद गए हैं। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि गुणों के आधार पर भगवान हनुमान ब्राह्मण हैं।
शास्त्रों में भगवान हनुमान की जाति का कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन गुणों और कर्म के आधार पर वह ब्राह्मण हैं। उन्होंने कहा, भगवान हनुमान वेदों के ज्ञाता हैं। भारतीय संस्कृति के मूल में जन्म के आधार पर जाति की व्यवस्था नहीं है, बल्कि कर्म इसका आधार है। इसलिए भगवान हनुमान कर्म के आधार पर ब्राह्मण हैं। वह योद्धा हैं क्षत्रिय हैं।
इससे पहले योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने गुरुवार को कहा था कि भगवान हनुमान आदिवासी हैं। लखनऊ में एक कार्यक्रम में बोलते हुए साय ने कहा, मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि लोग मानते हैं कि भगवान राम की सेना में वानर, भालू और गिद्द थे। उन्होंने कहा, उरावं जनजाति की ओर से बोली जाने वाली ‘कुरुख’ भाषा में ‘टिग्गा’ (गोत्र) का मतलब ‘वानर’ होता है। वहीं ‘कनवार’ जाति में जिसका मैं सदस्य हूं, इस गोत्र के लोगों को हनुमान कहा जाता है।
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निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास ने कहा कि भगवान हनुमान हम लोंगों के राजा हैं। उन्हें जाति में नहीं बांटना चाहिए। उन्होंने राममंदिर के मुद्दे पर कहा, मामले में हिंदू महासभा, निर्मोही अखाड़ा को ही मुख्य पक्ष मान रही है। राम और हनुमान सब मंदिर निर्माण के लिए तैयार हो चुके हैं। राममंदिर पर जल्द से जल्द कोई निर्णय होगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान हनुमान को लेकर दिए गए बयान की हो रही आलोचना पर परोक्ष रूप से पलटवार किया है। उन्होंने शुक्रवार को गोंडा और बलरामपुर में आयोजित कार्यक्रमों को संबोधित करते हुए कहा, बजरंगियों से कुछ लोग घबरा गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, पहलवान बजरंग स्वरूप हैं इसीलिए उन्हें बजरंगी भी कहा जाता है।