कन्यागत सूर्य का यह 16 दिन का पक्ष, जिसे पितृ पक्ष या श्राद्धपक्ष कहते हैं, वास्तव में पितरों अथवा अपने पूर्वजों से आशीर्वाद प्राप्त करने का सर्वोत्तम अवसर प्रदान करता है।
यह आश्चर्य का विषय है कि अधिकतर लोंगो को यह मालूम नहीं कि इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नही करना चाहिए। आधे से अधिक लोग इस डर से श्राद्ध का कार्य नहीं कर पाते कि कहीं उनसे कोई गलती न हो जाए। तो आइए जानते हैं कि श्राद्धपक्ष के दौरान कौन सी 10 चीजें नहीं करनी चाहिए और कौन सी 10 चीजें अवश्य करना चाहिए —
श्राद्ध के दौरान क्या न करें —
पूरे श्राद्ध पक्ष में मांसाहार, मदिरापान कदापि न करें। यज्ञ, अनुष्ठान अथवा धार्मिक संस्कार का कार्य न करें। किसी से उधार धन ले कर कोई कार्य न करें। नया मकान, जमीन, वाहन न खरीदें। यदि मकान पुराना हो तो भी उसकी मरम्मत आदि का कार्य न प्रारंभ करें।
संभव हो सके तो परिवार का हर सदस्य नए कपड़े, गहने आदि खरीदने से बचे।किसी भी स्थिति में झूठ, धोखे भरा कार्य न करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर का कोई भी कोना अंधेरे में न रहे। कुल खानदान की मर्यादा के विरुद्ध कोई आचरण न करें। यदि आप श्राद्ध न करते हों, जैसे आपके बड़े भाई करते हों तो भी आप उपरोक्त का बातों का जरूर पालन करें।
श्राद्ध के दौरान क्या करें —
श्राद्ध के अधिकारी ब्यक्ति को पूरे पक्ष में पितरों को तर्पण अवश्य करना चाहिए। तर्पण हेतु जल, तिल, कुश, पुष्प का प्रयोग करना चाहिए। तिथि के दिन बाल मुड़वाएं नाखून आदि की सफाई अवश्य करें व यथा सामर्थ्य ब्राह्मणों को बुलाकर तर्पण, पिंड दान, भोजन कराने के बाद दक्षिणा प्रदान करें।
अपनी दैनिक पूजा का त्याग कदापि न करें और यदि नियमित रूप से मंदिर दर्शन का नियम हो, तो उसका भी पालन अवश्य करें। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए श्रद्धा पूर्वक नियमित तर्पण करें। सात्विक भोजन करें। यदि संभव हो सके तो लहसुन और प्याज का भी त्याग करें। पूरे श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों का खूब यश गावें और बड़ो का सम्मान और अपने गुरुजनों की पूजा करें।
प्रत्येक दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार दूसरे की मदद अवश्य करें। चींटी के लिए मीठा नियमित उचित स्थान पर रखें। घर की छत पर अथवा उचित जगह साफ-सुथरे बर्तन में जल, अन्न, मीठा अवश्य रखें। यदि घर मे श्वान हो तो उसकी हर तरह से ख्याल रखें, यदि न हो तो बाहर के कुतो को दोपहर के पहले रोटी अवश्य खिलावें।