अब पराली की तर्ज पर गेहूं के फसल अवशेष जलाने पर भी सख्ती बरती जाएगी। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने हरियाणा के मुख्य सचिव से आने वाले रबी सीजन में गेहूं फसल चक्र के लिए एक्शन प्लान मांग लिया है। राज्य सरकार को जल्द यह प्लान जल्द जमा कराना होगा। हरियाणा सरकार ने लिए एक विस्तृत प्लान जल्द ही आयोग को सौपेंगा, जिसमें निगरानी, कार्रवाई और जागरूकता अभियान शामिल होगा।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में जिस तरह से धान की पराली जलाई जाती है, उसी तर्ज पर कई किसान गेहूं के फसल अवशेष भी जलाते हैं। गेहूं के फसल अवशेष से भी प्रदूषण के खतरनाक कण निकलते हैं। इसमें पीएम 2.5, 10, कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, मीथेन और बैंजीन जैसे हानिकारक कण और गैसें निकलती हैं। ये गैसें न सिर्फ वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ाते हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसके साथ ही मिट्टी के पोषक तत्व व सूक्ष्मजीव भी नष्ट होते हैं।
यह पहली बार है जब केंद्र गेहूं के फसल अवशेष जलाने पर सख्ती बरतने जा रही है। हालांकि हरियाणा में पहले भी गेहूं के फसल अवशेष जलाने को रोकने के लिए कार्रवाई की जाती है, मगर उतनी सख्ती नहीं बरती जाती, जितनी पराली जलाने पर। अब विशेष निगरानी और सख्त कार्रवाई का प्लान तैयार किया गया है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने कहा- हरियाणा ने इस बार पराली जलाने को रोकने के मामले में मिसाल पेश की है। पिछले साल की तुलना में काफी गिरावट आई है। हरियाणा में गेहूं के अवशेष जलाने पर पहले से ही कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। इसमें अब और सख्ती बरती जाएगी।
एक अप्रैल से 31 मई तक कितनी जलाए गए फसल अवशेष
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सैटेलाइट के आंकड़े के मुताबिक एक अप्रैल से 31 मई तक 1832 मामले पकड़ में आए हैं। हालांकि पिछले चार साल में यह सबसे कम है। साल 2022 में 2887, 2023 में 1903, 2024 में 3159 मामले सामने आए थे। साल 2025 में सबसे ज्यादा मामले फतेहाबाद में 220, सोनीपत में 219, कैथल में 178, जींद में 176, करनाल में 164 मामले सामने आए थे। वहीं, मध्य प्रदेश में 34,429 मामले, यूपी में 14,398 मामले, पंजाब में 10,207 मामले और दिल्ली में 49 मामले सामने आए हैं।
पूरे साल सिर्फ बारिश में साफ रही हवा
हरियाणा में वायु प्रदूषण की स्थिति काफी खराब रही है। सिर्फ बारिश के दिनों को छोड़ बाकी महीने में पीएम 2.5 का मानक तय सीमा से अधिक दर्ज किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक पीएम 2.5 का सालाना औसत राष्ट्रीय मानक से अधिक दर्ज किया गया है। पीएम 2.5 का राष्ट्रीय औसत 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि हरियाणा में औसत पीएम 2.5 का स्तर 63 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया है। हालांकि बारिश के दिनों में पीएम 2.5 का स्तर सामान्य औसत से नीचे रहा।
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