उत्तराखंड पावर कारपोरेशन बिजली दरों में बढ़ोतरी 

उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड की ओर से बिजली दरों में 16.23 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव पेश करते ही प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि करीब एक हजार करोड़ के नुकसान की भरपाई बिजली दरों को बढ़ाकर ही क्यों ? बिजली चोरी व लाइन लास रोककर इस नुकसान की पूर्ति क्यों नहीं की जा रही।

यह पहली बार नहीं नहीं है, गत वर्ष भी बिजली दरों में 12 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव यूपीसीएल ने दिया, तो बिजली चोरी रोकते हुए बिजली दरों को स्थिर रखने की पैरोकारी हितधारकों ने की थी। अब नए वित्तीय वर्ष के लिए टैरिफ के निर्धारण का फैसला उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग सुनवाई के बाद लेगा।

पिछले वित्तीय वर्ष में बिजली दरों को मंजूरी देने से पूर्व हुई सुनवाई में हितधारकों एसपी चौहान, वीरेंद्र सिंह रावत और टीका सिंह सैनी ने कहा कि बिजली की चोरी रोकी जानी चाहिए। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राकेश भाटिया ने कहा कि यूपीसीएल अधिक लास वाले जिलों (हरिद्वार, उधम सिंह नगर, लक्सर, रुड़की आदि) में बिजली चोरी को रोकने में नाकाम रहा है।

यह नुकसान गलत तरीके से लाइन लास कंपोनेंट के तहत एडजस्ट किया जा रहा है, जिसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। यूपीसीएल को टैरिफ बढ़ाने से पहले लाइन लास में बिजली चोरी की हिस्सेदारी का हिसाब साफकर पारदर्शी रिपोर्ट जमा करनी चाहिए। यूपीसीएल कुल नुकसान की बात तो करता है, लेकिन इसमें बिजली चोरी व अन्य हानियों का प्रतिशत कितना है, इसे स्पष्ट तौर पर नहीं बताता।

रेवेन्यू जेनरेशन बढ़ा, पावर परचेज कास्ट कम हुई
बिजली चोरी व अन्य हानि को रोकने के लिए पिछली बार भी हितधारकों ने कई मुद्दे उठाए थे। शकील सिद्दीकी ने कहा कि यूपीसीएल को लाभ बढ़ाने के लिए हर सब स्टेशन का मूल्यांकन कराना चाहिए। दिनेश मुद्गल ने कहा कि यूपीसीएल 1341.96 करोड़ रुपये के रेवेन्यू गैप की भरपाई टैरिफ बढ़ोतरी से करना चाहता है।

कहा कि यूपीसीएल के फाइनेंशियल परफार्मेंस के विश्लेषण से पता चलता है कि रेवेन्यू जेनरेशन लगातार बढ़ रहा है, जबकि पावर परचेज कास्ट कम हुई है। ऐसे में टैरिफ बढ़ाने से कंज्यूमर्स पर बेवजह बोझ पड़ेगा। इसके अलावा हितधारकों ने कहा था कि ज़्यादा टैरिफ के बजाय यूपीसीएल को कार्य संचालन क्षमता सुधारने, बकाया रकम वसूलने और वित्तीय प्रबंधन सुधारने पर ध्यान देना चाहिए।

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