UPA ने जिसे सद्भावना के तहत छोड़ा, वो निकला पठानकोट हमले का हैंडलर

upa_free_pathankot_handler_2016517_91435_17_05_2016नई दिल्ली। यूपीए सरकार ने पड़ोसियों से बेहतर रिश्ते कायम करने के लिए सद्भावना के तहत जिन लोगों को छोड़ा था उनमें से एक पठानकोट हमले का हैंडलर भी है। जी हां, यूपीए सरकार पार्ट-2 के दौरान साल 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने भारत-पाकिस्तान के बीच बेहतर रिश्ते कायम करने के लिए जिस जैश-ए-मोहम्मद आतंकी शाहिद लतीफ को छोड़ा था पठानकोट हमले का हैंडलर यानि प्रबंधकर्ता वहीं था।

पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंध बनाने की दिशा में मनमोहन सिंह की सरकार ने 28 मई 2010 लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद के जिन 25 आतंकियों को छोड़ा था उनमें एक आतंकी शाहिद लतीफ भी था। ये सभी आंतकी जम्मू, श्रीनगर, आगरा, वाराणसी, नैनी(यूपी) और तिहाड़ में बंद थे जिन्हें वाघा बार्डर के जरिए भेजा गया। 47 वर्षीय लतीफ करीब ग्यारह साल तक आतंक के जुर्म में भारतीय जेल में कैद थे और वो भी उन 25 रिहा होनेवाले आतंकियों में शामिल थे।

सबसे दिलचस्प बात ये है कि साल 1999 के दिसंबर में आतंकियों ने आईसी-814 एयरलाइंस को हाईजैक कर 154 पैसेंजर के बदले जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर और दो लोगों को छुड़ाने में कामयाब हो गए थे। उस वक्त वाजपेयी सरकार ने जैश की तरफ से शाहिद लतीफ के साथ बाकि 31 लोगों को छोड़ने की मांगे को खारिज कर दिया था। लतीफ भारत में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्य प्रबंधकर्ता है।

साल 1999 में एनडीए सरकार ने मुश्ताक अहमद जरगार और उमर शेख (जिसनें अमेरिकी पत्रकार डेनियर पर्ल का अहरण कर उसकी हत्या की थी) को रिहा किया था।

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