up: भूख से मरा दलित नत्थू प्रसाद, मौत के बाद घर पहुंचा समाजवादी राशन,चार दिन से नहीं जला था नत्थू के घर चूल्हा

hunger-dead-banda-2_1462310239चार दिन से घर में चल रही फाकाकशी के बाद समाजवादी राहत राशन लेने जा रहे भूमिहीन दलित की रास्ते में पानी पीते ही मौत हो गई। यह खबर फैलते प्रशासन ने आननफानन समाजवादी राहत के राशन पैकेट उसके घर पहुंचा दिए। करीब चार दिन से नत्थू के घर चूल्हा नहीं जला।

रविवार को नत्थू को पता चला कि आज ऐला गांव में समाजवादी राशन पैकेट बांटे जाएंगे। वह भूखे पेट ही पैकेट लेने के लिए ऐला गांव की ओर चल पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रास्ते में हैंडपंप से पानी पीने लगा। पानी पीते ही वह गिर पड़ा और उसकी वहीं मौत हो गई।

नरैनी तहसील के ऐला गांव के मूंगुस पुरवा में 40 वर्षीय दलित नत्थू प्रसाद पुत्र जग प्रसाद भूमिहीन था। वह रिश्तेदारों की ओर से दिए गए कच्चे खपरैल के मकान में पत्नी और छह बच्चों के साथ रह रहा था। सूखे के हालात में गांव में पति-पत्नी को मजदूरी भी नहीं मिली। 17 वर्षीय पुत्र दिलीप और 14 वर्षीय संदीप के आने पर मंगलवार को नत्थू का पोस्टमार्टम कराए बगैर अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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अंतिम संस्कार के बाद नत्थू की मौत चर्चा में आ गई। मीडिया वाले पहुंचे तो अधिकारियों की भी नींद टूटी। आनन फानन समाजवादी राशन पैकेट मृतक के घर पहुंचा दिया गया। उप जिलाधिकारी नरैनी ने कोटेदार से 35 किलो गेहूं, चावल भी भेजवा दिया। पत्नी मुन्नी ने बताया कि अंत्योदय कार्ड में मिलने वाला राशन आठ सदस्यीय परिवार के लिए नाकाफी था। यह 15 दिन में ही खत्म हो जाता था। इसके बाद बाकी दिन फाकाकशी या पड़ोसियों द्वारा दिए गए खाने से गुजरता था। मृतक के घर पहुंचे नरैनी एसडीएम का कहना था कि मौत भूख से नहीं बल्कि हार्टअटैक से हुई है। डीएम योगेश कुमार ने भी एसडीएम की रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि भुखमरी से मौत का कोई भी तथ्य नहीं पाया गया है।

प्रदेश सरकार ने बांदा में तैनात खाद्य सुरक्षा अधिकारी राम प्रताप का तबादला पीलीभीत कर दिया है। तबादले के औपचारिक आदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने जारी कर दिया है। साथ ही अधिकारी को तत्काल नए तैनाती स्थल पर ज्वाइन करने के निर्देश दिए गए हैं।

सूखे से सरसों की पैदावार कम होने के सदमे से युवा किसान ने घर में अंगौछे से फांसी लगा कर जान दे दी। बिवांर थाना क्षेत्र के उमरी गांव में सोमवार रात यह घटना हुई।  उमरी गांव निवासी किसान रमेश (35) के पिता आशाराम ने बताया रमेश उसके छह पुत्रों में तीसरा बेटा था। आशाराम ने बताया रमेश ने  चार बीघे जमीन में सरसों की फसल बोई थी। सूखे के कारण पैदावार न के बराबर हुई। इसे लेकर रमेश तनाव में था।

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