यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार विजय सिन्हा की जमानत कोर्ट ने की खारिज

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बाबू बनारसी दास बैडमिंटन अकादमी में यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार पूर्व सचिव डॉ विजय सिन्हा को कोर्ट से जमानत नहीं मिली है। यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार पूर्व सचिव डॉ विजय सिन्हा की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई शुरू हुई। अपर सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार यादव की अदालत में मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने दलील सुनने के बाद जमानत अरजी को खारिज कर दिया। प्राथिमिकी में नामित बैडमिंटन खिलाडिय़ों  द्वारा अभियुक्त एवं उसके पुत्र निशांत सिन्हा पर लगाये गये शारीरिक व मानसिक उत्पीडऩ के आरोप के संदर्भ में केस डायरी में अंकित पीडि़ताओं के बयान, जमानत प्रार्थनापत्र एवं केस डायरी के साथ संलग्न अभिलेखो के सविस्तार परिशीलन, माननीय उच्च न्यायलय खंडपीठ लखनऊ द्वारा मिण् बेंच नम्बर 5912~2017 में पारित आदेश दि 22~03~2017 की सत्य प्रति में प्रकरण के संदर्भ में दर्ज प्राथमिकी के परिप्रेक्ष्य में की गई विवेचना तथा मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों में अभियुक्त के जमानत पर रिया किये जाने का आधार पर्याप्त नहीं पाया जाता है। इसके साथ ही यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार पूर्व सचिव डॉ विजय सिन्हा द्वारा प्रस्तुत जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त किया जाता है।
गौरतलब हो कि यूपी बैडमिंटन एसोसिएशन के पूर्व सचिव विजय सिन्हा व उनके पुत्र पूर्व कार्यकारी सचिव निशान्त सिन्हा पर कई गम्भीर आरोप लगे हैं। खबरों की माने तो बीबीडी बैडमिंटन अकाडमी में प्रशिक्षु खिलाडयि़ों द्वारा पिता.पुत्र पर पर जबरन यौन शोषण व अवैध रूप से धन उगाही करने का आरोप लगाया था। इसके बाद अकाडमी के मुख्य सुरक्षा अघिकारी जंग बहादुर ने गोमती नगर थाने में दोनो पिता पुत्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस ने दोनों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। खिलाडिय़ों के साथ यौन शोषण व उनसे अवैध धन उगाही के आरोपित बैडमिंटन एसोसिएशन के पूर्व सचिव व उनके पुत्र के खिलाफ कोर्ट ने 82 की कार्यवाई के आदेश दिए गये थे। कोर्ट के आदेश के बाद गोमती नगर पुलिस ने दोनो आरोपितों के घर पर नोटिस चस्पा कर दी थी। जिसमें साफ लिखा था कि अगर एक माह के अन्दर समर्पण नहीं करते हैं तो कुर्की की कार्यवाई कर दी जायेगी। इसके बाद गोमतीनगर पुलिस ने पूर्व सचिव को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन उनका पुत्र अभी फरार चल रहा है। माना जा रहा है कि आरोपितों के खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं जो उन्हे दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त हैं।

 

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