भामाशाह योजना में 8 साल से ‘कैद’ करोड़ों की धनराशि

महिला सशक्तिकरण के पेटे खर्च की गई 161 करोड़ 93 लाख रूपए की राशि बैक खातों में सीज पड़ी है। आठ साल से खातों में पडी इस राशि का उपयोग न तो महिला लाभार्थी कर पा रही है और न ही यह पैसा सरकारी खजाने में वापास आ पा रहा है। यह राशि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय 2008 में महिला सशक्तिरण और सीधे खाते में लाभ हस्तांतरण को लेकर शुरु की गई थी।  

भामाशाह योजना

भामाशाह योजना के तहत यह पैसा राष्ट्रीयकृत बैकों के माध्यम से खातों में जमा करवाया गया था। 10 लाख 76 हज़ार 638 महिलाओं के खाते में राशि वित्‍तीय वर्ष 2008-09 में भामाशाह योजना के अन्‍तर्गत राष्ट्रीयकृत पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बडोदा के माध्‍यम से भामाशाह के लाभार्थियों को 1500-1500 रूपये की राशि उनके खातों में हस्‍तान्‍तरित करने के उदृदेश्‍य से बैंकों में जमा करवाई गई थी। 

10 लाख 76 हज़ार 638 महिला लाभार्थियों के खातों में 161.49 करोड़ रूपए हस्‍तान्‍तरित किए गए थे, इनमें से 10 लाख 73 हज़ार 689 महिलाओं के खातों की 161.05 करोड रूपए राशि पंजाब नेशनल बैंक और 2949 महिलाओं के खातों के लिए 44 लाख की राशि बैंक ऑफ बडोदा को हस्‍तांतरित की गई। बैंकों को हस्‍तान्‍तरित राशि महिला लाभार्थियों के खातों में जमा है। 

भामाशाह को लेकर चली राजनीति

भाजपा सरकार की ओर से शुरु की गई सशक्तिकरण की इस योजना पर 2008 दिसंबर में सरकार बदलते ही ठण्ड़े बस्ते में डाल दिया गया था। योजना को लेकर तत्तकालीन अशोक गहलोत सरकार ने अपने तीन वरिष्ठ मंत्रियों की कमेटी भी बनाई लेकिन योजना को लेकर फैसला नहीं हो पाया। साल 2013 में दुबारा से भाजपा सरकार बनने पर इस योजना पर फिर से काम शुरू करके अब फिर से लागू की गई है। 

अब करवाया जा रहा है रि-एक्टिवेट 

अब सरकार बैंकों की तरफ हस्‍तान्‍तरित राशि महिला लाभार्थियों के खातों में जमा है। इन लाभार्थियों के खातों को भामाशाह योजना 2014 के अन्‍तर्गत रि-एकटिवेट करवाने का प्रयास कर रही है। लेकिन खाताधारकों की बड़ी संख्या होने और उनकी जानकारी जुटाना टेढी खीर साबित हो रहा है। दूसरा दुबारा से शुरु की गई इस योजना में इनमें से कई महिलाओं के खाते फिर से खुल गए है। 

”भामाशाह कार्ड शिविर लगे थे तो पुराने खाते एक्टीवेट करने के लिए लगभग 80 हजार आवेदन आए थे। हमने बैंकों को कहा है कि वे एक महीने में लार्भाियों के खाते एक्टीवेट करें या पैसा राज्य सरकार को लौटाए। अगले महीने होने वाली बैठक में इसकी समीक्षा की जाएगी।” –भगवान सहाय जाट,संयुक्त शासन सचिव, आयोजना विभाग

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