दिव्यांगों के लिए रेलवे ने बदले नियम

दिव्यांगों के लिए रेलवे ने बदले नियमकेस 1: दुबग्गा निवासी शिक्षक प्रमोद कुमार चौहान एक आंख से दृष्टिबाधित हैं। वह उत्तर रेलवे के हजरतगंज स्थित डीआरएमदफ्तर में रेलवे रियायती पत्र बनवाने के लिए दौड़-धूप कर रहे हैं। मंगलवार को उन्हें जानकारी मिली कि रेलवे अब सिर्फ पूरी तरह से दृष्टिबाधित (दोनों आंखों से) व्यक्ति को ही दिव्यांग मानता है, इसलिए उनका कार्ड नहीं बन पाएगा।

केस 2: पेशे से किसान अखंड प्रताप सिंह की सुनने की क्षमता एक दुर्घटना में खो गई थी, लेकिन वह बोलने में सक्षम हैं। जब वह सिद्घार्थनगर से पूर्वोत्तर रेलवे के अशोक मार्ग स्थित डीआरएम दफ्तर में रियायती पत्र बनवाने पहुंचे तो पता चला कि रेलवे के नए नियमों के अनुसार ऐसे लोगों का ही रियायती पत्र बन सकता है, जो पूरी तरह से मूक व बधिर दोनों हों।

प्रमोद कुमार चौहान और अखंड प्रताप सिंह की तरह रियायती पत्र बनवाने के लिए लखनऊ आ रहे ऐसे दर्जनों दिव्यांग प्रतिमाह रेलवे के नए नियमों का खामियाजा भुगत रहे हैं।
इनके तहत अब आंशिक रूप से दृष्टिबाधित व मूक-बधिरों को दिव्यांगों की श्रेणी से हटा दिया गया है। जबकि, इससे पहले इन्हें दिव्यांग माना जाता था और सुविधाएं भी मिलती थीं।
भारतीय रेलवे दिव्यांगों को ट्रेनों में सफर के लिए तमाम सुविधाएं देता है।

इसमें टिकट पर डिस्काउंट से लेकर ऑनलाइन बुकिंग तक शामिल है, लेकिन अब रेलवे ने जो बदलाव किए हैं उससे दिव्यांगों में खासी नाराजगी है।

रेलवे अधिकारी बताते हैं कि मानसिक मंदित, आर्थोपेडिक, दृष्टिबाधित और मूक-बधिर की श्रेणी में दिव्यांगों के रियायती पत्र लखनऊ में उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम दफ्तरों में बनाए जाते हैं, लेकिन नियमों में बदलाव के बाद सौ फीसदी अंधता वाले दृष्टिबाधितों व मूक-बधिरों को ही दिव्यांग माना जा रहा है। जबकि, पहले आंशिक दृष्टिबाधित और मूक और बधिरों को अलग-अलग श्रेणियों में छूट मिलती थी।

न्यूनतम अर्हता
मूक-बधिर-100 प्रतिशत
आर्थोपेडिक-40 प्रतिशत
मानसिक मंदित-50 प्रतिशत
दृष्टिबाधित-100 प्रतिशत
यह है प्रक्रिया

डीआरएम ऑफिस से फॉर्म भरकर, आधार कार्ड, वोटर आईडी, जन्म प्रमाणपत्र, दो फोटो, सीएमओ से बनवाया विकलांगता प्रमाणपत्र का वेरिफिकेशन करवाना पड़ता है।

जबकि, पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम ऑफिस में सिर्फ डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के लिए जमा करने पड़ते हैं, फॉर्म नहीं भरना पड़ता। फिर, यूनिक आईडी नंबर वाला कार्ड इश्यू होता है।

उत्तर रेलवे के डीआरएम दफ्तर में उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़, फैजाबाद, अमेठी, अकबरपुर, भदोही, बनारस, प्रयाग, सुलतानपुर जिलों में रहने वाले दिव्यांगों के कार्ड के साथ ही पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम ऑफिस में गोरखपुर, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्घार्थनगर, महाराजगंज, श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, लखीमपुर, सीतापुर व लखनऊ (गोमती पार) के प्रमाणपत्र बनते हैं।

मिलने वाली छूट:
पैरालिसिस, आर्थोपेडिक हैंडीकैप, मानसिक मंदित, दृष्टिबाधित
-सेकेंड, स्लीपर, फर्स्ट, एसी चेयरकार और एसी थ्री टियर: 75 प्रतिशत
-फर्स्ट क्लास एवं एसी टू टियर: 50 प्रतिशत
-एसी थ्री टियर व एसी चेयरकार (राजधानी व शताब्दी): 25 प्रतिशत
-एमएसटी: 50 प्रतिशत
मूक-बधिर
-सेकेंड, स्लीपर व फर्स्ट क्लास: 50 प्रतिशत
-एमएसटी: 50 प्रतिशत
‘रेलवे द्वारा नियमों का संशोधन यात्रियों की सुविधाओं के लिए किया जाता है। मसलन, जहां एक ओर नियमों को बदलकर दिव्यांगों को ऑनलाइन टिकट बुक कराने व अकेले यात्रा करने की सहूलियत दी गई है। वहीं, दृष्टिबाधित व मूक-बधिरों को पूर्ण रूप से दिव्यांग होना जरूरी है, ताकि सुविधा का मिस यूज न किया जा सके।’
-अजीत कुमार सिन्हा, सीनियर डीसीएम, उत्तर रेलवे

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