उत्तराखंड पर भारी पड़ेगा सातवें वेतन आयोग का ये ‘साइड इफेक्ट’

harish-rawat_1479530199उत्तराखंड के लगभग दो लाख कर्मचारियों और 1.10 लाख पेंशनरों को हाल-फिलहाल सातवें वेतन आयोग का लाभ देने की तैयारी हो रही है। यह कर्मचारियों के लिहाज से तो अच्छी खबर है, मगर इसका सीधा असर राज्य के विकास पर पड़ने वाला है।
वित्त विभाग के मुताबिक बढ़े वेतन और पेंशन में प्रत्येक वर्ष ढाई हजार करोड़ का खर्च आएगा। लगभग इतनी ही रकम एरियर के रूप में भी देनी होगी। अब राजस्व के स्रोत सीमित होने के कारण इसे अगले बजट में विकास के मद में होने वाले खर्च से समायोजित करने की तैयारी है।
केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर दी हैं। मुख्यमंत्री हरीश रावत भी जल्द से जल्द सातवें वेतन आयोग का लाभ देने के दावे कर चुके हैं। मगर हकीकत यह है कि नए वेतनमान देने की स्थिति में इन सभी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर साल भर में लगभग 2500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा।
इसके अलावा इतनी ही राशि एक जनवरी 2016 से एरियर की होगी। एरियर को तो दो से तीन साल में किश्त के जरिये दिया जा सकता है, मगर वेतन मद में प्रतिमाह पड़ने वाले दो से ढाई सौ करोड़ रुपये की व्यवस्था मुश्किल में डालने वाली है। चुनावी वर्ष में इसे जल्द से जल्द लागू करने की तैयारी है। 
इससे फिलहाल प्रतिमाह लगभग ढाई सौ करोड़ रुपये का बोझ सरकारी खजाने पर पड़ना है, जो आरबीआई से कर्ज या फिर भारत सरकार से मिलने वाली विभिन्न ग्रांट से दे दिया जाएगा। मगर अगले वित्तीय वर्ष में इन नॉन प्लांड खर्चों का बोझ प्लांड खर्चों यानी विकास के मद में समायोजित किया जाएगा। वित्त विभाग के सूत्रों की मानें तो इसके लिए रूपरेखा बननी शुरू हो गई है।
 
 
 

 

 
 

 

 
 

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