उच्चतम न्यायलय-“बचाव के लिए कानून हाथ में लेना कोई अपराध नहीं”

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायलय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यदि परिजनों के साथ मारपीट हो रही हो तो बचाव के लिए कानून हाथ में लेना कोई अपराध नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पेरेंट्स के साथ मारपीट होता देख किसी भी व्यक्ति को सेल्फ डिफेंस का अधिकार है।

उच्चतम न्यायलय

उच्चतम न्यायलय ने यह निर्णय राजस्थान के 1 मामले की सुनवाई में लिया

कोर्ट ने ऐसा राजस्थान के एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा। बता दें कि ट्रायल कोर्ट ने राजस्थान में दो लोगों को गांव में पड़ोसियों के साथ मारपीट के मामले में सजा सुनाई थी। इस फैसले को हाइ कोर्ट ने भी बरकरार रखा। दो लोगों को दो साल की कैद की सजा सुनाई गई।

इसके बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सर्वोच्च न्यायलय में जस्टिस दीपका मिश्रा और जस्टिस शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने सुनवाई के दौरान तथ्यों को थोड़ा अलग पाया। कोर्ट को बताया गया कि दोनों ने किसी के साथ मारपीट की। हांला कि पुलिस यह नहीं जान पाई कि दोनों ने किसके साथ मारपीट की और क्यों।

दोनों को चोट कैसे लगी, शरीर पर चोट के निशान कहां से आए। इन सवालों के जवाब ढुंढते हुए कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों ने अपने परिजनों पर हमला होते देख कानून को अपने हाथ में लिया था। इस हमले में नुकीले हथियार से वार होने के कारण आरोपी के पिता की मौत हो गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में सबसे महत्वपूर्ण बात कही कि अगर परिजनों के साथ मारपीट हो रही है, तो अपीलकर्ता को विधिक तौर पर ताकत का इस्तेमाल करने का अधिकार है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com